सैकडों मासूम लोगो को मौत के घाट उतार देने वाले राक्षसों के समर्थक कैसे यह सोच लेते हैं कि इससे उनका ख़ुदा खुश होगा? जहाँ एक माँ की आह भर से कोई पनप नहीं सकता, वहाँ सैकड़ों माँओं की आहें इन्हें बर्बाद होने से कैसे बचा सकती हैं?
सोचिए ज़रा उन सैकड़ों /हजारों बहनों के दुलार, बाप की आस, छोटे-छोटे बच्चों के साए और पत्नियों की ज़िन्दगी के कातिलों से खुदा खुश हो सकता है भला? इतनी सारी आह तो किसी की भी बर्बादी के लिए काफ़ी है. और जान लो यह सब राजनैतिक फायदे के लिए होता है और हमें बेवकूफ बनाने के लिए इन कुकर्मों को धार्मिक उन्माद के लबादे से ढका जाता है...
बंद करो इनका समर्थन.... दंगई / आतंकवादी सब समाप्त हो जाएँगे!!! वर्ना जान लो आप भी उतने ही ज़ालिम हो, कहर आप पर भी पड़ कर रहेगा।
और जब अपने ईश के सामने हाज़िर होगे तो अपने आप को गुनाहगारों की फेहरिस्त में खड़े पाओगे!
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