यह तो पता नहीं कि ओपरेशन ब्लू-स्टार में विदेशी ताकतों का हाथ था या नहीं, लेकिन मिडिया खालिस्थान के जिन्न को बोतल से बाहर निकालने को आतुर लगता है... 84 दंगे और ओपरेशन ब्लू स्टार पर जो कवरेज और राजनीति चल रही है, वोह देश के लिए हानिकारक है... ऐसे प्रयासों को फ़ौरन बंद किए जाने की ज़रुरत है!
दंगो के नाम पर अलगाववाद को हवा दिया जाना देश विरोधी ताकतों के लिए आक्सीज़न की तरह है। अगर ओपरेशन ब्लू स्टार के बिना केवल 84 के दंगो का हिसाब माँगा जाता है तो यह सही है, क्योंकि मासूमों की हत्या हुई और उनको इन्साफ मिलना ही चाहिए। 84 के दंगो का राजनैतिक और भावनात्मक पहलु था, लेकिन इसका सीधा-सीधा सम्बन्ध देश में अलगाववाद से नहीं था... इन दंगो पर बात करते समय पूरी तरह सचेत रहना पड़ेगा। अलगाववाद और देशहित पर कुठाराघात करने वाले मुद्दों पर किसी भी तरह का समझौता कभी भी नहीं होना चाहिए।
इस मुद्दे पर मिडिया कवरेज से जाने-अनजाने अलगाववाद को हवा मिल रही है। हमें यह समझना होगा कि इस विषय पर जितना रायता फैलाया जाएगा, देश विरोधी ताकतों को उतना ही बल मिलेगा।
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चीप मीडिया !!
ReplyDeleteकेवल चीप नहीं सतीश भाई, मगर लगता है कि कुछ और भी झोल है...
Delete.............:)
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteसही कहा
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