क्या इसे मिडिया मैनेजमेंट नहीं कहा जाएगा कि एक तरफ तो नरेन्द्र मोदी के दिल्ली आने पर एयरपोर्ट से ही कवरेज की होड़ लग जाती है और उनकी रैलियों के एक-एक पल को लाइव दिखाया जाता है और फिर ऐसा भी होता है कि उनके दिल्ली में 2 दिन तक रुकने के बावजूद छोटी से भी कवरेज से महरूम रह जाते हैं।
वहीँ दूसरी तरफ राहुल गांधी को कभी तो ज़रूरत से ज्यादा कमज़ोर दिखाया जाता है और फिर अचानक ही महानायक दिखाने की कोशिश की जाती है!
ऐसा क्यों होता है कि अरविन्द केजरीवाल में मसीहा की छवि देखने-दिखाने वाला मिडिया अचानक ही उनमें दुनिया भर की कमियां ढूँढने लगता है।
क्या आज का मिडिया सनसनी फैलाने की ताकत रखने वाले मुद्दों से संचालित हो रहा है या फिर राजनैतिक पार्टियों के उन्हें मैनेज करने की ताकत से?
आज मीडिया स्वतंत्र कहाँ रही है...
ReplyDeleteकबाड़ मीडिया . . .
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