क्या मंत्री / मुख्यमंत्री होने का यह मतलब है कि जनता से जुड़े मुद्दों पर अपनी लाचारी या दूसरों की ज़िम्मेदारी दिखाकर चुप बैठा जाए? या फिर बस प्रेस में यह बयान देकर इतिश्री पा ली जाए कि पुलिस प्रबंधन मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता? पुलिस चाहे किसी के भी अधिकार क्षेत्र में आए, लेकिन अन्य विभागों की तरह उनको भी जनता के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा। और मुख्यमंत्री जनता का प्रतिनिधि होता है, मतलब जनता की आवाज़। प्रदेश की जनता के हित में वोह केवल गदगदी कुर्सी पर दिन और मखमली बिस्तर पर रात बिताने के लिए नहीं बना है।
मानता हूँ कि लोगो को अभी यह बात हज़म नहीं होगी, क्योंकि अभी तक तो हमने आभामंडल से घिरे मंत्री-मुख्यमंत्री ही देखें हैं। रात को सड़कों पर रात गुज़ारने वाला, मुख्यमंत्री देखने पर पेट में हड़बड़ी तो होगी ही, हाज़मा ठीक होने में थोड़ा तो वक़्त लगेगा ही।
बड़े-बड़े लोक-लुभावन वादे बहुत हुए, जनता के द्वारा चुने हुए नेता को लोगो के हक़ के लिए लड़ने वाला ही होना चाहिए, अपने अधिकार क्षेत्र में जनहित के फैसले ले और अधिकार क्षेत्र के बाहर वाले क्षेत्रों में लोगो के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो।
याद रखना अगर हम सुधर गए और वाकई वोट देने लगें तो इन सभी पार्टियों को ऐसा ही बनना पड़ेगा, हर क्षेत्र में जनता का प्रतिनिधि!
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