'आप' को इससे भी ज़्यादा भीतरघात के लिए तैयार रहना चाहिए, यह तो किसी को बदनाम करने और उसकी मुहीम को नुक्सान पहुंचाने की सदियों पुरानी स्ट्रेटिजी है।
मुहम्मद (स.अ.व.) के समय जब कबीले के कबीले उनके साथ आने लगे तो दुश्मनों ने स्ट्रेटिजी बनाई, वह अपने लोगो को भी उनके साथ कर देते और कुछ समय बाद वह लोग उनपर इलज़ाम लगा कर अलग हो जाते, जिससे कि उनके साथ आ चुके या आ रहे लोगो में भ्रम फ़ैल सके। मगर मुहम्मद (स.अ.व.) के आला क़िरदार और सत्य के पथ पर चलने के कारण उनके साथियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (17-01-2014) को "सपनों को मत रोको" (चर्चा मंच-1495) में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बिल्कुल सच कहा है...
ReplyDelete