जिस तरह से मेरा नाम मेरी पहचान है उसी तरह मेरे सरनेम से मेरे खानदान की पहचान जुडी है। इससे मैं किसी से बड़ा या छोटा नहीं होता। कोई भी इंसान बड़ा या छोटा केवल और केवल अपने विचारों और उस पर अमल से होता है। दुनिया में हर इंसान बराबर है। ज़ात/बिरादरी और मज़हब के नाम से जुडी इस छोटे-बड़े की ज़ंजीरों से निजात पाना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
इसके लिए ज़रूरत अपना सरनेम छोड़ने की नहीं बल्कि घटिया विचारों को छोड़ने की है। ऐसी सोच वालों की इस तरह की सोच का खुलकर विरोध कीजिये। जिस तरह मस्जिद में बिना भेदभाव कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होते है, आप ठीक उसी तरह दिलों में सबको बराबरी का भागिदार बनाइये।
उठिए, आवाज़ उठाइये!
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