सास चाहती है बहु उसके 'हिसाब' से चले और बहु चाहती है कि सास उसके 'हिसाब' से!
वहीँ पिता चाहता है बेटा उसके 'हिसाब' से चलना चाहिए, मगर बेटे का 'हिसाब' कुछ दूसरा ही होता है। उधर पति चाहता है कि पत्नी पर उसका 'हिसाब' चले मगर पत्नी अपना 'हिसाब' चलाना चाहती है।
आखिर दूसरों पर अपनी सोच थोपने की जगह सब अपने-अपने 'हिसाब' से क्यों नहीं चलते?
वैसे मज़े की बात यह है कि जो दूसरों को अपने 'हिसाब' से चलाना चाहते हैं, वह खुद भी उस 'हिसाब' से नहीं चलते!!!
छोटी बात मगर सत्य
ReplyDeleteप्रणाम
बातें तो छोटी -छोटी हैं लेकिन सत्य .
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