हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
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पता नहीं कौन किस पर हँस रहा है, पर समझ कोई किसी को नहीं रहा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट की चर्चा हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
ReplyDeleteसच यही तो है ...
ReplyDeleteयह ऐश कर रहे हैं और हम अपनी पीठ पर, इनका नाम लिखे, भांड की तरह इनकी तारीफों के कसीदे पढ़ रहे हैं !
गुलाम हैं हम इनके ...