मुसलमान और आज की ज़रूरत

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  • Shah Nawaz
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  • भारत के मुसलमानों को लीडरशिप से ज़्यादा शिक्षा की ज़रूरत है... देश से मांगने की जगह देने के हालात बनाने होंगे।

    मेरा यह मानना है कि समाज में बदलाव साक्षरता और जागरूकता फैलाने तथा गरीबों को ख़ुदमुख्तार बनाए जाने से ही आ सकता है। खासतौर पर आज की ज़रूरत महिलाओं और पुरुषों में शिक्षा का विस्तार, स्वास्थ्य, सामाजिक बराबरी, सामाजिक साझेदारी, दयानतदारी की भावना और अपने समाज के अन्दर तथा अन्य समाजों के साथ जोड़ की पुरज़ोर कोशिशों की है।

    हकीक़त यह है कि इमदाद, ज़कात, फितरा, खैरात का अगर सही इस्तेमाल होने लगे तो किसी की ओर देखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। इसके लिए ज़रूरी है अपना पैसा दान करते समय पूरी तरह छानबीन करें, बिना उचित जानकारी के एक भी पैसा ना दें। थोडा-थोडा पैसा अनेकों जगह देने की जगह कोशिश करें कि किसी एक ही जगह दें, जिससे कि बाद में हालात पर नज़र रखना आसान रहे। मदद अगर किसी शिक्षा संस्थान को दे रहे हैं तो यह अवश्य ध्यान रखें कि केवल दीनी तालीम से काम नहीं चलेगा, इसलिए अच्छी तरह से पुष्टि करलें कि शिक्षा स्तरीय हो। बल्कि खुद भी कभी-कभी जा कर चेक करें। ध्यान रखना ज़रूरी है कि अगर पैसा सही जगह नहीं लगा तो उसका सवाब (पुन्य) नहीं मिलेगा  और जो फ़र्ज़ है  उसे फिर से अता करना पड़ेगा।

    आजादी के बाद जितनी भी मुस्लिम लीडर्स उभरे हैं, उसमें से अधिकतर ने राजनैतिक पार्टियों के हाथों कौम के वोटों के मोलभाव के अलावा कुछ नहीं किया।

    मैं अपने स्तर पर कोशिशें कर रहा हूँ, आप अपने स्तर पर करें। लीडरशिप की ओर देखना छोड़ो, खुद उठो और आगे बढ़ो।










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    11 comments:

    1. बढ़िया सन्देश दे रहा है आपका आलेख, शाह नवाज जी ! लेकिन मैं यह कहूंगा कि सिर्फ शिक्षा की ही जरुरत नहीं, बल्कि इमानदारी से बहुत से मुद्दों पर आत्मावलोकन की भी जरुरत है! यह यह जरुरत सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि भारतीयों के एक बहुत बड़े तबके को है!

      मुझे तो आजतक समझ नहीं आया कि मोदी को अमेरिका के वीसे की इस हद तक जरुरत क्यों है, किन्तु दूसरी तरफ अपने देश के मेंबर आफ पार्लियामेंट (सांसदों)( सब तथाकथित शिक्षित)की घटिया हरकतों पर तरस आता है और फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूँ कि मोदी इनसे फिर भी बेहतर है! आज के ज्यादातर अमरीकी अखबारों ने आश्चर्य व्यक्त किया है की ओबामा से मोदी को वीसा न देने का अनुरोध करने वाले (६५ सांसद, ज्यादातर मुसलमान सांसद ) क्या ये वही भारतीय लोग है जो कभी कहते थे कि हमें किसी भी मुद्दे पर अमेरिका की मध्यस्थता की जरुरत नहीं है ? और उनका आश्चर्य गलत नहीं है, क्या हम राजनेति में इतने गिर गए है की अमेरिका की तरफ ताकने लगे है ? अब भला ऐसे शिक्षित होने का भी क्या फायदा ? शिक्षा के साथ साथ संकीर्ण मस्तिष्क को भी विकसित करने की साख आवश्यकता है! इसीलिये मैंने टिपण्णी में मोदी वाला उदाहरण पेश किया !

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      1. पता नहीं भारतियों की हमेशा से मानसिकता रही है, अमेरिका से दुश्मनी मगर वीसा की लालसा, यह सब ड्रामा भी इसीलिए लगता है। घूँट पी-पी कर कोसने वालों से सवाल करता हूँ कि जब अमेरिका इतना बुरा है तो उसके फैसलों से क्या और क्यों वास्ता? वैसे भी अमेरिका जैसा प्रोफेशनल मुल्क हर एक फैसला अपने नफे-नुक्सान को देखकर करता है।

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      2. शुक्रिया गोदियाल जी, वैसे मैंने यहाँ पर और भी मुद्दों को उठाया है, बल्कि यह वह मुद्दे हैं जिन पर मैं खुद काम कर रहा हूँ।

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    2. सधे, संतुलित और समसामयिक विचार .....शिक्षा से आई जागरूकता बहुत कुछ बदल सकती है |

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    3. बाकि सब तो ठीक है लकिन आप के जो मुस्लिम लीडर है या जो मुस्लिम बड़े लोग है उनके हाल के कुछ दिनों के बयान सुन ले तो आप का मुस्लिम होने अहसास अपने आप को मुस्लिम कहलाने मैं शर्म महसूस होने लगेगी...वन्देमातरम
      जय बाबा बनारस...

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    4. बहुत सारगर्भित आलेख...

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    5. आज के समय मुसलमानों को जरुरत है स्थतियों की समझ रखनें वाले लोगों को आगे लानें की वर्ना अभी तो जो हैं वो तो अपनें शुद्र स्वार्थों के वसीभूत होकर समाज और देश दोनों का ही अहित कर रहें हैं !!

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    6. बहुत बढ़िया सुझाव ...

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    7. कोशिश करना ही चाहिये !

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