सबसे बेहतरीन इबादतों में से एक है तन्हाई में अपने ईश्वर को याद करना, जहाँ तीसरा कोई नहीं हो... जैसे कि रात के अंधेरों में उससे बातचीत करना या फिर शौच या स्नान के समय कहना कि जिस तरह शरीर की गन्दगी से मुझे पाक़ किया उसी तरह मेरे विचारों की गन्दगी को भी दूर कर दे...
हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
छोटी सी पर बहुत बड़ी बात, और फिर दो से भी एक ही रह जाना तन्हाई में... दूसरा भी कोई नहीं...
ReplyDeleteकुँवर जी,
वाह... बेहतरीन हरदीप भाई... बिलकुल सही...
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