कुछ लोग दिल्ली में चलती बस में हुए गैंग रेप की पीड़िता को इन्साफ दिलाने के लिए प्रदर्शन में हिस्सा लेने गए थे, तो कुछ लोग बस यूँ ही गए थे, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने.
लेकिन मेरे जैसे बहुत सारे लोग केवल उस गैंग रेप पीड़िता को ही इन्साफ दिलाने की नियत से नहीं बल्कि देश की हर एक महिला को 'महिला' होने का अंजाम भुगताने को आतुर लोगो के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने और उसको जल्दी से जल्दी अमल में लाने की प्रक्रिया के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए गए थे.
बल्कि महिलाओं ही क्यों, मेरा आन्दोलन तो हर एक को जल्द से जल्द न्याय और मुजरिमों को सख्त से सख्त सज़ा के लिए है.
और विश्वास करिये हम लोग हिंसक नहीं थे, क्योंकि हम तो खुद हिंसा के खिलाफ आन्दोलन कर रहे थे.... लेकिन यह भी सच है कि हम से कहीं ज़्यादा संख्या में लोग वहां हिंसक प्रदर्शन कर रहे थे, पता नहीं उनके उस प्रदर्शन का क्या मकसद था?
भीड में ऐसा होना बहुत ही स्वाभाविक होता है। तब, बहुत कुछ अनचाहा हो जाता है, गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है और अनेक लोग अपराध-बोध से ग्रस्त हो जाते हैं।
ReplyDeleteविष्णु बैरागी जी इंडिया गेट पर दो गुट बने हुए थे जो कि इंडिया गेट की दो ओर बंटे हुए थे... एक ओर शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था और दूसरी ओर उग्र प्रदर्शन चल रहा था.... हमारे सामने ही एक अफसर (शायद पैरा मिलिट्री फोर्सेस के अधिकारी) की गाड़ी पर बुरी तरह लाठियाँ चलाई गई, वहीँ उस कार के ड्राइवर ने बहुत तेज़ी के साथ गाडी को बैक साइड पर चलाया, जिससे की गाडी पर लाठियां चलाता हुआ एक युवक उसके नीचे आने से बाल-बाल बचा... तब हमें लगा कि यहाँ कुछ ना कुछ अशुभ होने वाला है, इसलिए हम शांति पूर्ण प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए दूसरी तरफ वापिस आ गए..
Deleteमुझे लगता है कि कुछ लोग इस आन्दोलन में किसी और ही मकसद से शामिल हुए थे और शायद वह अपने मकसद में कामयाब भी हुए हैं...
Delete:-(
ReplyDeleteशानदार लेखन,
ReplyDeleteजारी रहिये,
बधाई !!
आज की सच्चाई से रूबरू कराती पोस्ट....
ReplyDeleteशनिवार और रविवार के प्रदर्शन में बहुत अंतर था।
ReplyDeleteप्रदर्शन में ज्यादातर युवा शामिल थे और नेता के अभाव में प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने का अंदेशा पहले से लग रहा था क्योंकि एक तरफ युवा खून था और दूसरी तरफ सरकार और पुलिस अपने रवैये से उनको उकसा रही थी इसी का परिणाम था कि कुछ युवा अपना धेर्य खो बैठे !!
ReplyDeleteभीड़ के हिंसक होने की खबर दुखदाई है।
ReplyDeleteउग्र करने वाले ज्यादातर राजनीतिक पार्टी की कालेज इकाई थी....उनके आने से पहले प्रदर्शन शांति से चल रहा था.....ज्यादातर लोग सिर्फ इसलिए गए थे कि महिलाओं को आजादी से जीने का हक मिले....महिलाएं इसलिए थी की ज्यादातर का दुख साझा था..
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