जबसे इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया ने देश में पैर पसारे हैं, तब से खबर को सनसनी बनाने और केवल सनसनी को ही खबर के रूप में दिखाने का कल्चर भी पैर पसार गया है. किसी भी खबर को सनसनी बनाने के चक्कर में मीडिया 'एक और एक दो' को 'एक और एक ग्यारह' और कई बार 'एक सौ ग्यारह' बनाने में तुला रहता है, जिसके कारण बात का बतंगड बनते देर नहीं लगती.
जिसके चलते मीडिया की रिपोर्ट पर आँख मूंद कर विश्वास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जा रहा है...
पत्रकारिता मिशन न रह कर तमाशा-दिखाऊ बन गई है !
ReplyDeleteबिलकुल सही कह रही है प्रतिभा जी.... यहाँ तक कि मीडिया को अपना भ्रष्टाचार दिखाई ही नहीं देता है...
Deleteतमाशा-दिखाऊ के साथ-साथ आजकल तो बिकाऊ और ऊबाऊ भी होती जा रही है।
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