नयन उनके जबसे हमें भा गए हैं
वो तबसे निगाहें चुराते गए हैं
हर इक शाम कटती थी कूचे में मेरे
कहीं और के रास्ते भा गए हैं
वो यूँ जाने वाला कहाँ तक चलेगा,
जो हरसू लगेगा कि हम आ गए हैं
हुई महफ़िलों में तबाही की बातें
जो पर्दा उठा करके वोह आ गए हैं
मेरी आशिकी की कशिश देखिये तो
नज़र नीची करके वो शरमा गए हैं
अभी तक थे मशहूर जलवे सनम के
मगर आज अपने गज़ब ढा गए हैं
- शाहनवाज़ 'साहिल'
- शाहनवाज़ 'साहिल'
Hey Shah Nawaz! It's very beautifully written!! I loved it man:)
ReplyDeleteNaazuk khayaal...nazaakat se kahaa gayaa hai!
हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया अमित जी...
Deleteआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 01/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया यशोदा जी...
Deleteक्या बात है, शाहनवाज भाई!!
ReplyDelete:-) छोटी सी कोशिश भर है सतीश सत्यार्थी भाई...
Deleteबहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद सर जी...
Deleteवाह. य
ReplyDeleteथार्थ के दिनों आजकल श्रृंगार का तो वर्ना ज़माना ही नहीं रहा /:-)
:-) जी काजल भाई...
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया संगीता जी...
Deleteलाजवाब गजल..:)
ReplyDeleteशुक्रिया मन्टू भाई...
Deleteवाह जी क्या खूब लिखा है आपने बहुत खूब जनाब...
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया पल्लवी जी, एक छोटी से कोशिश भर है... :-)
DeleteBahut sundar...The starting lines are awesome...:)
ReplyDeleteThanks Saru...
Deleteमेरी आशिकी की कशिश देखिये तो
ReplyDeleteनज़र नीची करके वो शरमा गए हैं
वाह क्या बात है ।
बेहद उम्दा गजल,शुक्रिया शाह नवाज जी.
ReplyDeleteमनोज जैसवाल
बहुत खूब भाई साहब !
ReplyDeleteहुई महफ़िलों में तबाही की बातें
ReplyDeleteजो पर्दा उठा करके वोह आ गए हैं ..
वाह ... क्या गज़ब शेर है ... तबाही तो होनी ही है इस तरहा ... लाजवाब गज़ल ...
वो यूँ जाने वाला कहाँ तक चलेगा,
ReplyDeleteजो हरसू लगेगा कि हम आ गए हैं ...
बहुत खूब शेर है इस गज़ल का ... उम्दा गज़ल ...