काफी दिनों से हो हल्ला मच रहा है कि योजना आयोग (Planning Commission) ने गरीबों के लिए नई परिभाषा का प्रस्ताव दिया है. जिसमें शहर में 32 रूपये प्रतिदिन तथा गाँव में 26 रूपये प्रतिदिन कमाने वालों को गरीब नहीं माना जाएगा, जिसको लेकर योजना आयोग के डिप्टी चैरमैन श्री अहलूवालिया की काफी निंदा भी की जा रही है.
मैंने जब उस शपथ पत्र को पढ़ा तो पाया कि उसमें "4824 रुपये मासिक व्यय करने वाले पांच सदस्यीय परिवार" को गरीबी रेखा से नीचे नहीं रखने का प्रस्ताव है. जबकि कुछ लोग "32 रूपये प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति आय" की बात करके जान बूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. हमारे देश में सामान्यत: परिवार में मुखिया ही कमाता है, इसलिए इससे यह सन्देश गया कि शपथ पत्र में एक परिवार के लिए 32 रूपये प्रति दिन आय की धारणा ली गई है. जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है, अगर प्रति दिन का हिसाब भी लगाया जाए तो यह एक पांच सदस्यीय परिवार के लिए 161 रूपये प्रति दिन है, और यहाँ खर्च की बात की जा रही है, आय की नहीं.
यहाँ यह जान लेना भी आवश्यक है कि हर सरकार समय-समय पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वालो का निर्धारण करती है, जिससे कि सही लोगो तक सब्सिडी पहुंचाई जा सके. हालांकि 4824 रुपये मासिक व्यय की गरीबी की परिभाषा को कहीं से भी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है, लेकिन देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे बेतुका भी नहीं कहा जा सकता है.
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कुछ लोग बिना तथ्य जाने खामख्वाह आलोचना करने लगते हैं।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत काम की है।
प्रणाम
इस परिप्रेक्ष्य में तो बेतुका नहीं कहा जायेगा।
ReplyDeleteहमारे देश में गरीबी रेखा का लाभ उठाकर न जाते कितने ‘अमीर’ इससे लाभान्वित हो रहे हैं। एक व्यक्ति कार में अस्पताल आता है और अपनी सफ़ेद कार्ड[ गरीबी रेखा के नीचे वालों को दिया जानेवाल व्हाइट कार्ड] बता कर मुफ़्त इलाज कराकर चला जाता है। असल में सरकार को गरीबी रेखा खींचने से अधिक राजनीतिक कारणों से दिए जानेवाली सब्सिडी पर अंकुश लगाना चाहिए॥
ReplyDeleteनवीन जानकारी मिली। आभार।
ReplyDeleteहमारे समाज में मौका मिला नहीं कि लट्ठ लेकर निकल पढते हैं लोग उसपर अपना मीडिया जिंदाबाद.
ReplyDeleteइस परिपेक्ष्य में तो बेतुका नहीं लगता.
बढ़िया जानकारी दी आपने शाहनवाज भाई !
ReplyDeleteआभार !
आधी अधूरी जानकारी खतरनाक होती है.... किसी ने सही कहा है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी के लिए आपका आभार।
Wah! kya financial terminology wala cathc pakda aapne to!
ReplyDeleteजी ये जानकारी सभी टीवी चैनलों पर दिखाई जा चुकी है हा भले प्रचारित ३२ और २६ रुपये वाली बात की गई किन्तु क्या आप को लगता है की आज देश में जीतनी महंगाई है उस हिसाब से जो पञ्च लोगो का परिवार महीने के ४८२४ रु कमा रहा है उसके ऊपर वालो को सरकार से किसी भी प्रकार की सब्सिडी की जुर्रत नहीं है | यहाँ बात सब्सिडी की थी की सरकार को किन लोगो को सब्सिडी देनी चाहिए और सरकार ने कहा की इससे निचे वाले सब्सिडी के हक़दार नहीं है | कोई भी व्यक्ति इतने पैसे में बिना सरकारी सब्सिडी लिए अपना घर चला कर दिखा दे तो मान जाउंगी की सरकार सही है | ये सब बस इसलिए किया जा रहा है की दिखाया जा सके की देखो भाई हमारे राज में गरीबी कितनी कम हो गई है बस गरीबी रेखा का पैमाना ही इतना निचे कर दो की बाकि सब अपने आप की ऊपर हो जाये | और सरकार ने अनाज का जो मूल्य बताया है उस दाम में कौन सी चीज मिलती है ये भी बताये सरकार ने अपने मन से चीजो के दाम कम कर लिख दिया और ये कह दिया की इतने पैसे में ये मिलेगा और एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए बस इतने भोजन की ही जरुरत रोज होती है | सरकार ने चीजो के दाम ही गलत लिखे है तो न तो उतने पैसे में आनाज आएगा न व्यक्ति उन्हें खा कर जिन्दा रह सकता है सरकार का ये पूरा पैमाना ही गलत है |
ReplyDeleteबडी गहरी बात खोज कर लाए हैं, आभार।
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शब्द शिखर पर विराजने की आकाँक्षा...
...घर बैठे बनाएँ बिजली।
ab to pariyament mai jaaker hi khana khana padega
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली !!
ReplyDeleteबिलकुल सहमत हूँ आगर इससे अधिक को गरीबी रेखा से नीचे रखा जायेगा तो उसका बोझ किस पर पडेगा? आजकल सब सिडी का लाभ वो लोग ले रहे हैं जो मजदूरी करते हैं लेकिन घर मे कमाने वाले कई लोग हैं घरों मे टेलिफोन फ्रिज टीवी बाईक मोबाइल सब कुछ है। लेकिन विपक्ष का काम केवल शोर मचाना है और चैनल तो कमाई का साधन देख कर खबरें लगाते हैं। मै मोंटेक जी से सहमत हूँ।
ReplyDeleteपञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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