हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
जनता फांसे नेताओं को, नेता जनता को फांसे
Posted on by Shah Nawaz in
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छोटी बात
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bhtrin prstuti ..akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteनेता और मछली? ये तो मगरमच्छ हैं। इनके मन में तो हमेशा ही बन्दर का कलेजा खाने की नीयत रहती है। वैसे बढिया कार्टून है।
ReplyDeleteदेखते हैं कौन फंसता है ...शुभकामनायें शाहनवाज़ भाई !
ReplyDeleteदोनों पक्षों की भावनाओं की जीवंत अभिव्यक्ति. शुभकामनाएँ
ReplyDeleteइसीलिए तो कहते हैं कि व्यवस्था बदलनी है। कानून और कायदे ऐसे बनाए जाएं कि किसी को भ्रष्ट तरीके अपनाने की ज़रूरत ही न पड़े।
ReplyDeleteअजब कहानी।
ReplyDeleteशाहनवाज़,
ReplyDeleteबस इतनी सी बात है...खरबूजा छुरी पर गिरे या छुरी खरबूजे पर, कटेगा तो खरबूजा ही...जनता भी खरबूजा है...
जय हिंद...
बहुत खूब ....
ReplyDeleteबहुत खूब ....
ReplyDeleteबहुत खूब ....
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