फ़ासिज़्म के पेरुकार
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फ़ासिज़्म की एक पहचान यह भी है कि इसके पेरुकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ को
बर्दाश्त नहीं कर सकते, हर हाल में कुचल डालना चाहते हैं!
खतरनाक आयटम!
Posted on by Shah Nawaz in
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Hasya,
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छोटी बात,
हास्य
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इसीलिए कहते हैं कि बच्चों के सामने खूब सोच समझ कर बोलना चाहिए। अब झेलिये पिता महोदय।
ReplyDelete:) बच्चे हैं जी
ReplyDelete:-).....
ReplyDeleteक्या आप भी तो नहीं पिट लिए ....
ReplyDelete:-(
शुभकामनायें आपको !
karara...
ReplyDeleteआइटम के साथ बम लगाना भूल गए क्या...
ReplyDeleteजय हिंद...
मजेदार.....
ReplyDeleteऐसे आयटम हर देश में मिलते हैं। आनन्द आया।
ReplyDeleteअब मैं क्या कहूँ !
ReplyDeleteमां पर पूत , पिता पर घोड़ा !
ReplyDelete‘ये तो मेरे मां-बाप ने मुझ पर थोपा था!’ :)
ReplyDeleteHa..ha..ha..majedar.
ReplyDeleteआप सभी को क्रिसमस की बधाई ...हो सकता है सेंटा उपहार लेकर आपके घर भी पहुँच जाये, सो तैयार रहिएगा !!
achcha jee.
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