ओबामा या ओसामा?

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  • Shah Nawaz
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  • ओबामा और ओसामा के फेर में अच्छे से अच्छे गच्चा खा रहे हैं. कई न्यूज़ रीडर ओसामा को ओबामा कह देते हैं तो अखबारों में भी ओसामा की जगह ओबामा लिखा जाता है. यह बेचारे भी क्या करें, इन दोनों नामों में कुछ ज्यादा ही समानता दिखाई देती है, मैं खुद भी कुछ मर्तबा ओसामा को ओबामा कह चूका हूँ. इसलिए मैं तो अब ओसामा का पूरा नाम ही लेता हूँ - ओबामा-बिन-लादेन... म्म्म्तलब ओसामा-बिन-लादेन.

    ज़रा देखिये बी.बी.सी. जैसी जाने मानी न्यूज़ एजेंसी अपनी हिंदी साईट पर एक शीर्षक में कैसे ओबामा को ओसामा बनाने पर तुली हुई है, हालाँकि अन्दर सही नाम लिखा है.



    जब से ओसामा बिन लादेन की मौत हुई है तब से अभी तक तक़रीबन सभी न्यूज़ चैनल्स पर यह गड़बड़ी देख चूका था. आज अचानक बी.बी.सी. पर नज़र गयी तो हैरान रह गया, हमारे हिंदी न्यूज़ चैनल्स ही नहीं बल्कि बी.बी.सी. जैसी मशहूर संस्था भी ओसामा और ओबामा के फेर में गच्चा खाती नज़र आई.

    गूगल बाबा पर नज़र दौड़ाई तो कुछ और फोटो भी मिल गए, आप भी देखिये...


    चित्र गूगल से साभार

    
    चित्र गूगल से साभार
    
    चित्र गूगल से साभार
    

    18 comments:

    1. दरअसल ये एक ही देश के दो चेहरे हैं इसलिए ऐसा हो रहा है....

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    2. वाह मीडिया वाह ....
      ओबामा मारा गया ओसामा जिंदाबाद ??
      क्या बात है ...:-))

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    3. mul rup se charitra ke anusar ek hi hai

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    4. अले यह सब गड़बड़ हो गया...
      _____________________________
      पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें

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    5. अछ्छे बुरे दोनों को ही एक साबुन से धो दिया।

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    6. श्रीमान जी,क्या आप इस नाचीज़ अनपढ़ व ग्वार इंसान की परेशानी समझ सकते है? तब आप अपने ब्लोगों पर हिंदी का विजेट लगा दें.आपकी पोस्ट पढता हूँ मगर समस्याओं के कारन बगैर टिप्पणी के लौट जाता हूँ.आप क्यों भूल रहे हैं कि-राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना.जब आप पोस्ट हिंदी में लिखते हैं तब गुड खाकर गुलगलों से परेहज क्यों? गुस्ताखी माफ़ करें. टिप्पणी पढ़ते ही हटा देना.

      एक मेरा मीडिया को लेकर छोटा-सा अनुभव-एक किसी नेहा कक्कड़ ने आत्महत्या की और प्रिंट व टी.वी. चैनल ने इन्डियन आइडल फेम नेहा कक्कड़ की न्यूज चलाई और प्रिंट की.उनका घर पास था और मेरे समाचार पत्र के मेम्बर होने के कारण खोजबीन की.पूरा डाटा तैयार किया और उन सभी को लिखित में माफ़ी मांगने के लिए मजबूर कर दिया था.जल्दी के चक्कर में खोजबीन करना पत्रकार आज भूलते जा रहे हैं,क्योंकि भौतिक वस्तुओं की चाह ने उनको उद्देश्यहीन कर दिया है.मैं पत्रकारों के ही स्टिंग ओपरेशन करता हूँ.इसलिए खुद को "सिरफिरा" कहलाता हूँ, क्योंकि सम्मानजनक पेशे में पत्रकार के नाम पर कुछ भेड़िये घुस गए और इनका सफाया हमें ही करना होगा.

      अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?

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    7. पहले दोनो भाई होंगे, कभी ओसामा अमेरिका का हीरो था...

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    8. बड़े करीबी नाम है..
      बड़े करीबी काम हैं...
      कोई किसी से कम नहीं..
      दोनों ही बदनाम हैं...

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    9. श्रीमान जी, क्या आप इस नाचीज़ अनपढ़ व ग्वार इंसान की परेशानी समझ सकते है? तब आप अपने ब्लोगों पर हिंदी का विजेट लगा दें. आपकी पोस्ट पढता हूँ मगर समस्याओं के कारन बगैर टिप्पणी के लौट जाता हूँ. आप क्यों भूल रहे हैं कि-राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना. जब आप पोस्ट हिंदी में लिखते हैं तब गुड खाकर गुलगलों से परेहज क्यों? गुस्ताखी माफ़ करें. टिप्पणी पढ़ते ही हटा देना.

      एक मेरा मीडिया को लेकर छोटा-सा अनुभव-एक किसी नेहा कक्कड़ ने आत्महत्या की और प्रिंट व टी.वी. चैनल ने इन्डियन आइडल फेम नेहा कक्कड़ की न्यूज चलाई और प्रिंट की. उनका घर पास था और मेरे समाचार पत्र के मेम्बर होने के कारण खोजबीन की. पूरा डाटा तैयार किया और उन सभी को लिखित में माफ़ी मांगने के लिए मजबूर कर दिया था. न्यूज जल्दी के चक्कर में खोजबीन करना पत्रकार आज भूलते जा रहे हैं, क्योंकि भौतिक वस्तुओं की चाह ने उनको उद्देश्यहीन कर दिया है. मैं पत्रकारों के ही स्टिंग ओपरेशन करता हूँ. इसलिए खुद को "सिरफिरा" कहलाता हूँ, क्योंकि सम्मानजनक पेशे में पत्रकार के नाम पर कुछ भेड़िये घुस गए और इनका सफाया हमें ही करना होगा.

      अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा

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    10. प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
      दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
      श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
      क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
      अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
      यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

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    11. एक बराक हुसैन "ओबामा" हैं .यानी ओबामा उनका फेमिली नेम है जबकी दूसरे थे "ओसामा "बिन लादेन .यानी ओबामा सर नेम है और ओसामा फस्ट नेम है .गिविन नेम है ।
      अलबत्ता स्साला फर्क भी तो एक ही वर्तनी का है "एक में ओ के बाद बी दूसरे में एस है ".एक सांस में कोई दोनों को एक साथ पच्चीस बार बोल के दिखलादे तो जाने .

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    12. नाम में बहुत समानता है! बढ़िया पोस्ट! सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है आपने!

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    13. वैसे ये लोग गलत नहीं कह रहे हैं। अब ओबामा ‘बिन लादेन’ याने विदाउट लादेन ही तो है। हा हा।

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    14. शेक्सपिअर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है ... :)

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    15. हाहाहा... लोगों ने खूब मजे लिए नाम की एक समानता के... :) :)

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