सतीश जी वाले प्रकरण के बाद हंगामा मचा हुआ है. एक तरफ पोल खुलने के कारण सतीश सक्सेना जी की हालत ना हँसते बनती है ना रोते, वहीँ दूसरी तरफ खुशदीप सहगल ने भी गैंग में बग़ावत कर दी है. उनको लगता है कि ज़रूर यह खबर और फोटो द्विवेदी जी या फिर मैंने लीक की हैं. उन्होंने बदला लेने के उद्देश्य से मक्खन परिवार को रॉकेट लोंचर पर चढ़ा कर द्विवेदी जी के यहाँ ब्लास्टिंग कर दी. बकौल सतीश जी मक्खन परिवार को तो मुशर्रफ जैसा शख्स नहीं झेल पाया तो फिर द्विवेदी जी क्या चीज़ हैं. कोर्ट में चाहें वह कितना ही धमाल मचा लें लेकिन यहाँ स्लोग ओवर को झेलना था. पहली बार तो मक्खन परिवार को घर पर देखते ही उनपर बेहोशी छाने लगी, वोह तो अच्छा है बाथरूम करीब ही था! म्म्म्मात्लब बाथरूम करीब होने के कारण श्रीमती द्विवेदी जी जल्दी से पानी का मग भर लाई और उड़ेल दिया द्विवेदी जी के मुंह पर, तब जाकर तो वह होश में आये.
यह एक ब्लोगर का ही जिगरा था कि पुरे एक दिन झेला उन्होंने मक्खन परिवार को, वर्ना अच्छे-अच्छों को नानी याद आ जाती है. रात को जब दिल्ली यात्रा संस्मरण पोस्ट लिखने बैठे तो अचानक उन्हें मेरी याद आई और पोस्ट ठेलते-ठेलते उन्होंने पूरी प्लानिंग कर ली मक्खन परिवार से छुटकारा पाने की. रात भर सो नहीं पाए और सुबह होते ही मक्खन परिवार को कानूनी बातों में उलझा कर दिल्ली के लिए रवाना कर दिया और जेब में मेरे पते की पर्ची डाल दी. :-(
फिर क्या था, मक्खन परिवार पहुँच गया मेरे द्वारे:
मरता क्या ना करता, "भाआआई" का डर और वह भी खुशदीप भाई जैसे खतरनाक भाआआई का, इसलिए कुछ कह भी नहीं सकता था. खूब धूम-धाम से मालाएं-वालाएं डाल कर स्वागत किया.
जिस स्लोग ओवर नाम के हथियार से मक्खन-ढक्कन-मक्खनी के द्वारा वह पूरे ब्लॉग जगत को फोड़ते आये थे, वाह आज मेरे द्वारे खड़ा था. उस पर प्लस पॉइंट यह कि मक्खन-मक्खनी का सुपुत्र छक्कन भी साथ था. छक्कन कैसा हथियार होगा, जिसे खुशदीप भाई ने आड़े वक़्त के लिए संभाल के लिए रखा था, यह सोच कर ही जान निकल गई.
उनको एक कमरे तक पहुँचाया गया, थोड़ी देर बाद जाकर चेक किया तो वह वहां पर धमाल मचा रहे थे.
उनकी इस हरकत पर मैंने भूख हड़ताल का फैसला कर लिया है, अगर खुशदीप भाई ने इन्हें अपने घर वापस बुलाकर अपनी पोस्टों में नहीं ठेलते हैं तो मैं भी जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल पर ही बैठा रहूँगा.
रोज़-रोज़ तड़प-तड़प कर मरने से तो अच्छा है कुछ किया जाए...
क्या ख्याल है आपका???
Keywords: protest, slogver, deshnama.com, khushdeep sehgal, makkahan family, dhakkan, dineshrai dwivedi, satish saxena, blog jagat.
मेरी यह पोस्ट उन तमाम लोगो के लिए है जिनको बात बात में कब्ज की शिकायत हो जाती है (डाक्टरों का मानना है की कब्ज तनाव की वजह से भी होता है ) अब ब्लाहिंग करना और तनाव का होना एक दुसरे से सम्बंधित है. पोस्ट डाल दी लेकिन एकु कमेंटवा नाही दिख रहा. नतीजा तनाव. लोग मेरी पोस्ट को पढ़ नही रहे. नतीजा तनाव. रात में दो बजे उठकर देखा की सूर्यभान ने पोस्ट लिख दी. तनाव हुई गवा. लोग मेरी इज्जत नही कर रहे सम्मान नही कर रहे बड़ा ब्लॉगर नही मान रहे. फिर तनाव अब क्या होगा? होगा क्या कब्ज हो जाएगा और क्या? तो साहिबान ऐसे लोगो के लिए एक शफाखाना खुल गया है. इस शफेखाने में जाने के बाद आपकी कब्जियत दूर की जायेगी. गारटेड इलाज. चैलेन्ज . गलत साबित करने वाले को एक लाख रूपये का नकद ईनाम. इस पोस्ट की कटिंग लाने वाले को ९०० रूपये की छूट दी जायेगी. लेकिन सावधान नक्कालों से इस नाम से मिलते जुलते लोगो के यहाँ जाकर मरीजों ने शिकायत की है. डॉ जानवर शौचाल खानदानी एक मात्र असली सबसे बड़े वाले डाक्टर साहब है हालांकि शौचक्रिया होनोलूलू रिटर्न . तो आज ही अपनी बुकिंग कराइए.
ReplyDeleteमैं तो शुरू से ही कह रही हूँ कि जंतर-मंतर पर बैठा दो इनको। जनता ही अब न्शय करेगी।
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ReplyDeleteलगता है अनशन का दौर चल रहा है ! http://purviya.blogspot.com/2011/05/blog-post_9184.html?showComment=1304490978816#c337421479416650781
मैं खुद सुबह से कुत्तों के साथ उनकी इज्ज़त बचाने के लिए अनशन पर बैठा हूँ ...उन्होंने अपना चेयरमैन अनशन कमिटी मुझे घोषित करते हुए माला पहना दी है !
अब सोंचता हूँ की यह कुत्ते सो जाएँ तब भागूं यहाँ से ....मुसीबत यह है कि चौकीदारी पर डाबरमैन और जर्मन शेपर्ड खड़े हैं ...नहीं तो कबका आपकी मदद को पंहुच जाता !
मक्खन फैमिली का तोड़ और मंतर केवल खुशदीप सहगल को पता है ! उन्ही की मदद मांगो ....
शुभकामनायें
मक्खन फैमिली जिंदाबाद
ReplyDeletejai baba banaras....
ReplyDeleteham aap ke saath hai
jai baba banaras.......
:-)
ReplyDeleteकहते हैं न खोटा सिक्का भी काम आ जाता है...
ReplyDeleteमेरे मक्खन,मक्खनी,ढक्कन, गुल्ली और अब शहनवाज की कृपा से छक्कन और आ गया है...द्विवेदी जी और शहनवाज ने मुझे इतना हंसाया है, इतना हंसाया है कि सारा गुस्सा नजले की तरह बह गया है...अब इस मक्खन परिवार के आंसू देखे नहीं जा रहे...ये देख और भी कष्ट हुआ कि बेचारों का मेरे सिवा कहीं और ठिकाना भी नहीं है...और मैं भी इनके बिना कहां एक पल भी चैन से रह पाया...लेता हूं बेचारों का हाल...
जय हिंद...
मक्खन परिवार को ट्रेन में बिठाने के बाद मैं ने खुशदीप भाई को फोन किया था। वे बोले थे कि वे ठीक वक्त पर ह.निजामुद्दीन स्टेशन पर उन्हें संभाल लेंगे। लेकिन लगता है, खुशदीप भाई कहीं जाम में फँस गए। आप के पते की पर्ची मैं ने मक्खन की जेब में जरूर डाली थी। मक्खन परिवार स्टेशन पर गाड़ी से उतर कर सीधे आप के घर पहुँच गया।
ReplyDeleteउधर खुशदीप भाई जरूर परेशान हो रहे होंगे कि मक्खन परिवार आखिर गया तो कहाँ?
आप उन्हें जल्दी से फोन कीजिए और बता दीजिए, वर्ना उधर खुशदीप और इधर जंतर-मंतर पर आप परेशान होते रहेंगे।
बगावते बेकार नही जाती
ReplyDeleteचलिए अब उठाइए अपना धरना जंतर-मंतर से। खुशदीप पहुँच रहे हैं मक्खन परिवार को लेने के लिए। आज तो पार्टी करने का दिन है।
ReplyDeleteअरे वाह!!!!!! खुशदीप भाई मान गए!!!!! हो हो हो... हु हु हु.... यस... यस.. यस...
ReplyDeleteधरना ख़त्म.... संतरे का रस पिलाने खुशदीप भाई आने वाले हैं...
भाई हो तो ऐसा!!!!!!
:))
ReplyDelete:]
ReplyDeleteमख्खन परिवार की जय हो
ReplyDeleteवाह वाह.... खुशदीप भैया बड़े सुशील
ReplyDeleteभाई शाहनवाज ले आये इन्हें मोतीझील
--
हम भी आ रहे हैं जंतर मंतर....आखिर कब तक मख्खन मख्खनी को नहीं बुलायेंगे खुश दीप...देखते हैं...
ReplyDeleteufff!! sach me pure sharir me gudgudi ho gayee:D
ReplyDelete:) :)
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ReplyDeleteऒऎ तेरी.. मुँडे को मक्खन बना दिया ?
भाई पहले तो मेरा ऎतराज़ दर्ज़ कर, टिप्पणी बाद में मिलेगी !
फिलहाल परिवार अनाथालय में पल रहा है... सह्नावाज़ भाई भी पालने में लिटा कर घंटा बजा आये हैं... देखते हैं कब तक कोई गोद लेने आता है
ReplyDeleteपर हुआ क्या है?
ReplyDeleteमुझे तो मक्खनी बडी सुंदर ओर भोली भाली लग रही हे... ओर डक्कन बेचारा दो दिन से भुखा हे, कब करनी हे भुख हडताल ? मुझे भी बता देना, मै भी साथ मे बेठूंगा भुख हडताल पर, लेकिन पहले बता देना, साथ मे मठ्टिया बनवा लुंगा, चोरी चोरी कुतरेगे दोनो... बताना नही किसी को
ReplyDeleteडैमेज कंट्रोल पर भाई शाहनवाज़ जुट गए तुरंत और आखि़कार ‘क़लम का सिर क़लम होने से बच गया।
ReplyDeleteधन्यवाद शाहनवाज़ भाई !
इस सब बवंडर से जो सबक़ मिला है, वह कोई भी अपने ताल्लुक़ात बिगड़ने के डर से कहने के लिए तैयार नहीं है।
वह सबक़ यह है कि ‘किसी को अपने इलाक़े का समझकर उसकी ग़लतियों में उसका साथ मत दो।‘
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/save-your-pen.html
डॉ. अमर कुमार जी... मुंडे को मक्खन नहीं बनाया, बल्कि मुंडे (खुशदीप भाई) ने मक्खन को बनाया है... अब जब उनके प्रोडक्ट हैं तो सब के सब उनके जैसे ही दिखाई देंगे ना? आपने रजनीकांत की मूवी "रोबोट" नहीं देखी है?
ReplyDelete:-) :-) :-)
@ DR. ANWER JAMAL
ReplyDeleteअनवर भाई, हम किसी के गुनाह में साथ कभी देते ही नहीं हैं... और जिस तरफ आप इशारा कर रहे हो, उसे मैं गुनाह मानता भी नहीं हूँ... वैसे भी हर इंसान का सोचने का अपना नजरिया होता है और हर एक को अपने हिसाब से सोचने का हक भी है.... हाँ मैं यह ज़रूर मानता हूँ कि कुछ कमियां ज़रूर थी, लेकिन वह तो हर जगह थोड़ी-बहुत हो जाया ही करती हैं...
रोचक पोस्ट।
ReplyDeleteऐसी ब्लागर मीट तो रोज़ होनी चाहिये कम से कम अच्छे व्यंग तो पढने को मिले। मक्खन फैमिली क्या बात है\ बेटा जी मेरी फोटो त्प भेज दो इनाम लेते हुये कम से कम ब्लागजग्त की यादेम टाआज़ाआ ऋआःऎम।
ReplyDeleteश्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteश्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.
ama je kya ho raha hai bhai....
ReplyDeleteब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
ReplyDeleteआप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
.
जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
ReplyDeleteकमैंट समेटने के हिसाब से अच्छी पोस्ट है... वैसे और भी बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर लिखा जा सकता है... ब्लोगर्स मीट से अगल हट कर
ReplyDelete;)
मोहिन्दर जी, पहली बात तो यह की यह एक व्यंग्य है, ब्लोगर मिलन की कोई रिपोर्ट नहीं... दूसरी बात यह कि बेशक बहुत से मुद्दे हैं लिखने के लिए... तो क्या ब्लोगर मिलन लिखने वाला मुद्दा नहीं है? हर एक वोह काम जिससे लोगों के दिल मिलते हैं, नजदीकियां बढती हैं, एक-दुसरे के विचार जानने का मौका मिलता है... बेशक ऐसा कार्य मेरे लिए भी लिखने वाला मुद्दा है...
ReplyDeleteबहुत खूब शाह नवाज़ जी..मैं तो हँसते हँसते लोटपोट हो गया..बड़ी ही रोचक ब्लॉग meet थी..शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबेहतरीन .......
ReplyDeleteभाई ये खुशदीप जी के बाजू में कौन सी कन्या है ? पहचान नहीं पा रहा हूँ क्या ये ब्लागजगत से हैं ...रोचक ...
ReplyDeleteमहेन्द्र मिश्र जी,
ReplyDeleteइस पोस्ट में खुशदीप भाई की कोई फोटो है ही नहीं.... :-)
यह सारे तो खुशदीप भाई के बनाये कैरेक्टर्स मक्खन, मक्खनी ओर ढक्कन हैं... इन्हें बिलकुल रोबोट फिल्म के हिसाब से बनाया गया है.... जैसे रजनीकांत का बनाया रोबोट रजनीकांत की ही तरह दीखता था, ऐसे ही खुशदीप भाई के कैरेक्टर्स खुशदीप भाई जैसे ही दीखाई दे रहे हैं... :-) :-) :-)
जंतर मंतर पर हड़ताल पर बैठने का मतलब काम का पक्का सिद्ध होना...आपकी माँग भी ज़रूर पूरी होगी. बढ़िया व्यंग...बधाई
ReplyDeleteक्या कहूँ?.. रोचक पोस्ट।
ReplyDeletewell don
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