कल परिवार के साथ IPL देखने गए, हालाँकि टीम दिल्ली डेयरडेविल हार गई लेकिन हमने बच्चों के साथ खूब इंजॉय किया। पुरानी यादें ताज़ा हुई, स्कूल के दिनों में इसी फिरोजशाह कोटला मैदान में क्रिकेट सीखने और प्रेक्टिस करने आया करते थे। पत्नी को बताया कि कहाँ क्या किया करते थे, इंटरनेश्नल मैच होने पर प्रेक्टिस सेशन में किस-किस खिलाड़ी की मदद करते थे। श्रीमती कहने लगी कि सब पता है, पिछले छह साल में सब कुछ कई बार सुन चुकी हूँ!
तब से अब तक क्रिकेट कितना बदल गया है! तब अक्सर स्टेडियम में हमारे तीन दिवसीय मैच हुआ करते थे, उन दिनों लोग पाँच दिवसीय टेस्ट मैचों के लिए इंतज़ार किया करते थे। परन्तु आजकल तो 20-20 ओवर के मैच में भी लोगो को जमाए रखने के लिए सेक्स और संगीत का तड़का लगाया जा रहा है। बीच-बीच में तेज़ संगीत के साथ बदन पर नाम मात्र के कपडे पहने हुए देशी-विदेशी बालाओं का थिरकना समझ से परे है। आखिर इन खेलों के संयोजक और प्रायोजक आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश देना चाहते हैं? क्या यह लोगों को खेलों से जोड़ने की कोशिश हैं या फिर खेलों को भी प्रोडक्ट की तरह बेचा जा रहा हैं?
इधर फ़ुटबाल, टेनिस और क्रिकेट जैसे खेलों की देखा-देखी बेडमिन्टन में भी ग्लेमर्स का तड़का लगाने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। अंतर्राष्ट्रीय बेडमिन्टन महासंघ ने लड़कियों को छोटी सी स्कर्ट पहनकर मैच खेलने का आदेश दिया है। उनका तर्क है कि खिलाड़ियों का इस तरह अंग प्रदर्शन करने से ज्यादा लोग बेडमिन्टन देखने आएँगे। मैं मालूम करना चाहता हूँ कि अगर फिर भी लोग मैच देखने को उत्सुक नहीं हुए तो क्या लड़कियों को और भी ज्यादा कपडे उतारने के आदेश दिए जाएँगे? हालाँकि खिलाड़ी क्या पहने यह उनका फैसला होना चाहिए, लेकिन इस तरह खिलाड़ियों के बदन को ज़बरदस्ती नंगा करके हैवानो की भीड़ जुटाना कैसे तर्कसंगत है? सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या ऐसे खेल खेलने वाले खिलाड़ियों की आत्मा मर चुकी है? या उनमें भी ग्लेमर्स बनने का नशा छा रहा है? कम से कम सायना नेहवाल से तो इस पर विरोध की उम्मीद की ही जा सकती है।
मेरे विचार से तो सरकार को अब खेलों में भी 'ए' सर्टिफिकेट जारी करने चाहिए। क्योंकि खेल भी अब बच्चों के साथ जाकर देखने की जगह नहीं रह गए हैं।
मेरे विचार से तो सरकार को अब खेलों में भी 'ए' सर्टिफिकेट जारी करने चाहिए। क्योंकि खेल भी अब बच्चों के साथ जाकर देखने की जगह नहीं रह गए हैं।
चलिए आप कल के कुछ फोटो देखिये:
मैच में दिल्ली की पकड़ नहीं थी, इसलिए दर्शकों में उत्साह भी कम ही था |
फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम शाम के समय |
रात के समय |
छोटी बिटिया 'बुशरा' उर्फ़ 'ज़ोया' |
बड़ी बेटी 'ऐना' |
कोल्ड ड्रिंक और बर्गर ना मिलने के कारण बिटिया नाराज़ हो गयी |
बड़ी मुश्किल से मनाया... यह और बात है कि जेब ढीली करनी पड़ गयी :-) |
keywors: cheerleaders, cricket, sports, sex, glamours, badminton, skirt
बिलकुल सही बात कही आपने.
ReplyDeleteवैसे इस पोस्ट के बहाने नन्ही जोया और ऐना से मिलकर बहुत अच्छा लगा.बहुत प्यारी हैं दोनों.
खुदा दोनों को हरदम लाखों खुशियाँ बख्शे!
बच्चियो से मिल कर अच्छा लगा, मै तो इस क्रिकेट के सख्त खिलाफ़ हुं, ओर फ़िर उस मे इस नंगे पन के तडके से बिलकुल भी सहमत नही, अगर सब मिल कर इन बातो क बिरोध करे तो यह अमेरिकन स्टाईल एक दिन मे बन्द हो सकता हे, वैसे तो भारत मे आम लोगो के लिये बिजली नही.. लेकिन इन मेचो के लिये बिजली कहां से आती हे?
ReplyDeleteराज भाटिया जी नाराज हैं क्रिकेट से।
ReplyDeleteइसे बंद कराया जाना चाहिए
बहुत बिजली खर्च होती है।
सही कह रहे हो...
ReplyDeleteसब कुछ व्यावसायिक हो गया है खेल संघो को पैसा कमाना है तरीका चाहे अश्लील व भड़कीला ही क्यों न हो | यही तो सामाजिक पतनशीलता है |
ReplyDeleteबिलकुल सही बात कही आपने
ReplyDeleteऐना ज़ोया से मिल कर अच्छा लगा,
खासकर के आईपीएल पे तो ये रंग चढ़ ही गया है,
ReplyDeleteसही बात कहा है आपने.
पापा की लाडली दोनों बेटियों को आशीर्वाद
ReplyDeleteबच्चों को खुश रखने के लिए जेब कोई मायने नहीं रखती।
ReplyDelete---------
भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।
सारे रसों को मिलाकर ही इस खेल को रोचक और रसदार और लज्जतदार बनाया गया है .... तभी तो टीम खरीदने वाले को फायदा होता है ... इस खेल को लसदार बनाने के लिए कहीं आगे जाकर न्यूड डांस न शामिल कर दिए जाए तो कोई आश्चर्य न होगा... हा हा हा ...
ReplyDeleteमैं तो ऐसे खेलों के सख्त खिलाफ हूँ जिसमे अश्लीलता झलकती हो ...
ReplyDeleteरोमांच बढ़ाने के उपक्रम।
ReplyDeleteक्रिकेट!
ReplyDeleteना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे
करना था इनकार मगर इकरार तुम्ही से कर बैठे
..अच्छी फोटोग्राफी।
सच है,
ReplyDeleteआज खेलों को भी प्रोडक्ट की ही तरह बेचा जा रहा है.
क्रिकेट जैसे खेल में तो वैसे ही सर्वाधिक क्राउड मौजूद रहता है । अब ये सेक्स का तडका भी शायद इन्सानी लालच की पराकाष्टा के रुप में ही जुडता जा रहा है ।
ReplyDeleteओह ...तो आप है इस प्यारी बिटिया के साथ :-)
ReplyDeleteआभार खेल दिखाने के लिए !
AAPKE DONO BACHE BADE HE KHUBSURAT HAI OR MATVH KI ACHU SAMIKSH KI THANKS PAR SIR HINDUSTAAN MAI SAB KUCH BANDH HO SAKTA HAI PAR YE GORO KA GIFT KIYA KHEL BANDH NAHI HO SAKTAHAI
ReplyDeleteबुशरा और ऐना से मिलकर अच्छा लगा...
ReplyDeleteपापा लोगों की जेब तो होती ही बच्चों पर ढीली करने के लिए...
जय हिंद...
कमबख्त आदमी बड़ा स्पाइसी हो चला है।
ReplyDelete---------
देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
दोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना.........
ReplyDeleteभारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )
पैसे का क्या है... इतना मज़ा आया और पुराने दिनों कि याद भी ताज़ा हो गयी ये क्या कम है... ऐना और ज़ोया से मिलकर बहुत अच्छा लगा.. ढेर सारा प्यार दोनों को...
ReplyDelete