आज अचानक अपनी ग़ज़ल "मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी" को गूगल सर्च में डाला तो हक्का-बक्का रह गया, मेरी ग़ज़ल को कई लोगो ने अपने ब्लॉग पर सजा रखा था. चलिए बाकी ने तो साथ में मेरा नाम लिखा था, परन्तु किन्ही "Kanika Gupta" ने तो मेरा नाम भी लिखना गंवारा ना किया. और यह देख कर तो मेरी हैरानी की सीमा ही नहीं रही कि किन्ही "gunjan" ने मेरी यह ग़ज़ल अपने ब्लॉग पर "Kanika Gupta" के नाम से लिख डाली. वहीँ "blalster" ने भी इस ग़ज़ल को बिना मेरा नाम लिए ही इस्तेमाल कर लिया, आप भी देखिये...
- http://kanikasweet-poetry.blogspot.com/2010/10/blog-post_05.html
- http://gunjanlookingforlove.blogspot.com/2010/10/posted-by-kanika-gupta-at-235-am.html
- http://madpals.com/forum/index.php?topic=36122.0
इसके बाद मैंने उत्सुकतावश कुछ और खोज की तो पता चला कि यही नहीं बल्कि कई और रचनाओं और लेखों को भी इसी तरह मेरे ब्लॉग से उड़ाया गया है और वह भी बिना मेरे नाम का उल्लेख किये.
कुछ और उदहारण देखिये:
उपरोक्त लेखों / रचनाओं पर तो मेरी नज़र पड़ गई, बहुत से छूट भी गए होंगे. बल्कि यह भी हो सकता है कि प्रिंट मीडिया में भी लेख / रचनाएं बिना लेखक का नाम प्रयोग किये, अथवा किसी और के नाम से या फिर बिना हमें सूचित किए यूँ ही छापते होंगे? क्योंकि प्रिंट मीडिया के लिए तो आप गूगल सर्च भी नहीं कर सकते हैं.
यह सब रुकना तो चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह आखिर रुकेगा कैसे?
Keywords: theft, articles, blog-articles,
आजकल यह भी ब्लॉगिंग का एक नया पैटर्न बन रहा है!
ReplyDeleteअरे मेरी पोस्ट्स तो सालों से चुराई जा रही हैं लेकिन मैं हर पोस्ट मैं कुछ लिनक्स डाल देता हूँ, जो कॉपी करने वाला हटाना भूल जाता है. पकड़ा जाता है... वैसे यह सुबूत है कि आप अच्छा लिखते हैं.
ReplyDeleteअपनी ऐसी चीजें जो हमें बहुत ही कीमती लगती हैं उन्हें हम चौराहे पर नहीं पटक देते। ऐसा किया जा सकता है कि हम केवल चुनिन्दा पाठक ही बनायें और पाठक बनाने से पहले उनसे चोरी ना कर लेने का बांड साइन करवायें, फिर भी चोरी करें तो मुकददमें चलायें। हमारी जो गजलें कविताएं और लेख बड़े कीमती हैं तो उन्हें ब्लॉग पर ना ठेलकर किताब रूप में छपवायें, पैसे कमायें। या जैसा कि मासूम जी ने कहा है ...ये सोचकर खुश हो जायें कि आप कम से कम ऐसा तो लिख रहे हैं कि कोई चुरा रहा है।
ReplyDeleteब्लागजगत के अच्छे लेखकों की अनेकों रचनाओं को चुराकर अन्यत्र छाप देना कोई नई बात नहीं है . अभी तक इस पर रोक नहीं लग पाई है ... रोक लगाने हेतु कुछ सार्थक पहल होना भी जरुरी है ...
ReplyDelete@ राजे शा जी,
ReplyDeleteबहुमूल्य सुझाव के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
@ महेन्द्र मिश्र जी
आपने बिलकुल सही कहा. इसका कोई ना कोई हल तो निकालना ही चाहिए... इस पर विचार होना ही चाहिए कि इसका क्या हल हो?
अत्यंत निंदनीय कृत्य ।
ReplyDeleteइतना अच्छा न लिखा करो ना :)
ReplyDeleteचिन्तनीय है, कुछ तो कदम उठाने होंगे।
ReplyDeleteजल्द ही मैं भी गजलकार, गीतकार, कहानीकार, उपन्यासकार, कवि, लेखक बनने वाला हूँ जी
ReplyDeleteकिसी को क्या पता लगेगा, कहां से उठा-उठा कर ला रहा हूँ। :)
रोक सको तो रोक लो, कोई तो कानून होगा
प्रणाम
मेरा एक अतिथि स्वागत गीत धड़ल्ले से संगीत बद्ध होकर सैकड़ों स्कूलों में गाया जा रहा है, अब कितनों से पंगा लें?
ReplyDeleteनेट पर तो चोरी होना आम बात है, मेरी भी रचनाएं चोरी हुई हैं।
इस पर रोक लगना मुस्किल है।
यही तो दुर्भाग्य है. हमारे ब्लॉग से भी मैटर यूज कर प्रिंट-मिडिया वाले बिना पूछे /बिना साभार छप रहे हैं. इस ओर ध्यान देने की जरुरत है.
ReplyDeleteभई, हमने तो अपना सोचने का तरीका ही बदल लिया है। हम तो जो भी कुछ लिखते हैं, पहले ही मान लेते हैं कि यह दूसरों का माल है, हम अपने नाम से छाप रहे हैं। मन में तसल्ली सी तो हो ही जाती है।
ReplyDeleteजब तक लोग कॉपीराइट एक्ट में कार्रवाई न करने लगेंगे तब तक इस पर रोक लगा सकना संभव नहीं है।
ReplyDeleteवाकई चिंतनीय स्थिति है ।
ReplyDeleteयदि सम्भव हो तो सम्माननीय श्री द्विवेदी सर इस कापीराईट एक्ट का प्रयोग कर सकने बाबद एक आलेख में ब्लागर साथियों के लिये विस्तृत जानकारी भी देने का प्रयास करें ।
Iska matlab ab apne aap ko bada lekhak maan hi lijiye. :)
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का विनम्र प्रयास।
आप के नाम के साथ या आप के ब्लाग के नाम के संग छापे तो ठीक हे, लेकिन आप से पूछ कर छापे, आप इन सब को मेल कर के या इन के ब्लाग पर टिपण्णी कर के इन्हे प्यार से समझा कर देखे... जब भी कोई नया ब्लाग शुरु करता हे तो भुल वंस या जानबुझ कर वो ऎसा कर बेठता हे, क्योकि उसे इतनी समझ नही होती, इस लिये ओन्हे आप प्यार से समझा दे. धन्यवाद
ReplyDeleteयह सब नहीं रुकेगा. मेरे साथ कई बार हुआ. पहले मैं बहुत परेशान हो जाता था पर समय के साथ अब इस और ध्यान न देना सीख लिया है.
ReplyDeleteआप कार्रवाई करके देख सकते हैं. उसमें भी समय की बर्बादी ही है, चोर कौन से सही नाम पते के साथ उसे पोस्ट करते हैं.
आप बस इतना संतोष रख सकते हैं कि आपके परिचित यह जानते हैं कि ये रचनाएं आपने लिखी हैं और आपने ही इंटरनेट पर उसे सबसे पहले पोस्ट किया.
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ReplyDeleteनिंदनीय
ReplyDeleteबधाई हो...मेरी भी चार कहानियाँ चोरी हो चुकी हैं...
ReplyDeleteचलिए इससे कम से कम ये साबित होता है कि हम-आप बढ़िया लिखते हैं और लोकप्रिय भी हैं..:-)
(वैसे खुद को तसल्ली देने के लिए ये ख्याल बुरा नहीं है)
मेरी भी कई रचनायें चोरी हुयी हैं। चिन्ता की बात है। सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteचोरी हो रहे हैं लेख / रचनाएं के सन्दर्भ में श्री कुमार राधारमण,एस.एम.मासूम, Rajey Sha राजे_शा, महेन्द्र मिश्र, ललित शर्मा, नीरज जाट जी,दिनेशराय द्विवेदी, सुशील बाकलीवाल, ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, राज भाटिय़ा, निशांत मिश्र, राजीव तनेजा, और निर्मला कपिला आदि द्वारा व्यक्त विचारों से सहमत हूँ. प्रिंट मीडिया में भी आजकल यह युग चल पड़ा है. मगर आज भी कुछ प्रकाशन है. जो साभार देना नहीं भूलते है या संकलन लिखना नहीं भूलते हैं. मैं राज भाटिया जी की बात को समर्थन करने के साथ ही आप सभी पाठकों/ ब्लागरों से आग्रह करता हूँ कि-मेरी इन दिनों मानसिक स्थिति को देखते हुए अगर कभी मुझसे किसी प्रकार कोई गलती हो जाती है. तब एक बार मुझे मेरी गलती का अहसास करवाने की कृपया जरुर करें. वैसे मेरा यह विचार है कि-अगर कोई ऐसी जानकारी(देश और समाजहित हेतु) भरा लेख लेखक का नाम या सन्दर्भ याद न रहने पर दूसरों के हितों हेतु प्रकाशित कर दिया गया है. तब कुछ लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रकाशित करना बुरा नहीं है. आप इस सन्दर्भ में अपने विचारों से मेरी ईमेल पर ईमेल भेजकर अवगत करवाएं. आपका यह नाचीज़ दोस्त इन्टरनेट की दुनिया का अनपढ़, ग्वार इंसान है.
ReplyDeleteदोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!
आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं
चोरों पर भी प्रेमरस बरसाओ क्योंकि आज...
ReplyDeleteतन रंग लो जी आज मन रंग लो,
तन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
ब्लॉग जगत में, सब कुछ एक खुली किताब की तरह है. हजारो ब्लॉग है. हर कोई अच्छा लेखक बन नहीं सकता, तो कुछ बेचारे चौर्य-कला का सहारा लेने पर मजबूर हो जाते हैं. लेकिन ये बेचारे नहीं समझ पाते कि अपराध कर रहे है. आखिर चोर एक-न-एक दिन तो पकड़ा ही जाता है. ब्लॉग-चोर भी पकडे जाते है. लेकिन ये लोग इक्का-दुक्काही है. मनोरंजन के लिए ही ऐसा करते है. ये कोई लेखक नहीं है. जिसे देखो, ब्लॉग बना कर ''कुछ'' करना चाहता है. लेकिन वैसी प्रतिभा भी तो हो. नहीं है तो क्या करें, इधर का चुराओ, उधर से उठाओ. कट-पेस्ट करते हुए बने रहो ब्लागर. यह सिलसिला जरी रहेगा. इसे रोका नहीं जा सकता. हां, ऐसे चोर लोगों का नाम जग-जाहिर करना ही चाहिए, ताकि बदनामी हो, और दूसरे सावधान हो जाएँ.
ReplyDeleteआप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
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