दैनिक हरिभूमि में दिनांक 1 फ़रवरी को प्रष्ट संख्या 4 पर प्रकाशित मेरा व्यंग्य

अब इतनी उत्सुकता दिखा रहे हैं तो चलिए संसद भवन में मौजूद इस कैंटीन की भोजन दरें आप को भी बता देते हैं। यहाँ चाय जहाँ केवल एक रुपये में मिलती हैं, वहीँ सूप मात्र साढ़े पांच रुपये में ही उपलब्ध है। अच्छा दाल भले ही अन्य गरीबों को रुला देती हो परन्तु यहाँ केवल डेढ़ रुपया प्लेट ही है। वैसे भी कहावत है कि गरीब लोग ज्यादा खाते हैं, इसलिए सरकार ने ऐसा बंदोबस्त किया है कि चपाती के लिए एक रुपया और मील के लिए मात्र दो रूपये ही खर्च करने पड़ेंगे। और तो और डोसा खाने का मन हो तो बस चार रुपये खर्च होते हैं और अगर मुंह में वेज बिरयानी को देखकर पानी आ जाए तो ललचाना नहीं पड़ता, केवल आठ रूपये खर्च में बिरयानी उपलब्ध है।
सरकार ने इन गरीबों के लिए शाकाहार के साथ-साथ मांसाहार का भी उचित प्रबंध किया है। जहां फिश केवल तेरह रूपये में उपलब्ध है, वहीँ चिकन के लिए मात्र चौबीस रूपये पचास पैसे ही खर्च करने पड़ेंगे। अब तो आपको विशवास हो ही गया होगा की हमारे म्म्ममतलब जनता के यह सेवक जनता की इतनी सेवा कैसे कर लेते हैं? अब जनता के खून-पसीने की कमाई से जो सुविधाएं मिल रही हैं, तो उसका बदला तो चुकाएंगे ही ना? वैसे इनकी मेहनत के सामने तो यह कुछ भी नहीं है, शायद यही सोच कर यह कुछ और सुविधाएँ भी हड़प कर लेते हैं। आप क्यों मुंह बनाकर बैठे हैं? अरे इन गरीब लोगों को थोड़ी सी सुविधाएं क्या दे दी सरकार ने तो आपको जलन होने लगी? जब देखों जेब का रोना रोते रहते हैं। भय्या, जब सरकार गरीब लोगो के लिए इतना कुछ कर रही है तो कम से कम हम लोगो को आय कर देने में तो दुःख का अहसास बिलकुल भी नहीं होना चाहिए, आखिर हमारा भी तो कुछ कर्तव्य बनता है।
कितना उन्नत देश हमारा।
ReplyDeleteआमजन की छातियों में मूंग दल रहे है हरामखोर !
ReplyDeleteइन गरीबो को जुते भी मुफ़त मे मिलने चाहिये जी
ReplyDeleteविचारोत्तेजक।
ReplyDeleteaisa gareeb to har koi hona chahega .badhiya post .
ReplyDeleteबेचारे गरीब।
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ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
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