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(चित्र गूगल से साभार) |
हमारे प्यारे देश भारत में एक जगह ऐसी भी हैं जहाँ गरीब लोगो के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन सस्ते का मतलब थर्ड क्लास नहीं बल्कि फर्स्ट क्लास भोजन और बेहद सस्ता. बस एक ही कमी है, ऐसा भोजन केवल एक ही केन्टीन में उपलब्ध है और वह केवल उस क्षेत्र के गरीबों के लिए ही है. वह ऐसे गरीब हैं जिनकी मासिक आय केवल 80,000 रुपये है, यह और बात है कि साथ में बहुत भारी बोनस घोटालों के रूप में भी प्राप्त होता रहता है. बोनस के मामले में पहले बहुत थोडा सा पैसा (केवल कुछ लाख या कुछ करोड़) ही होता था, लेकिन आजकल इसमें थोडा सा इजाफा हुआ है. अब यह कुछ हज़ार करोड़ तक पहुँच गया है, फिर भी गरीब हैं तो सरकार का दायित्व बनता है कि इन गरीबों के लिए उचित दर पर भोजन की व्यवस्था की जाए! हमें अपनी सरकार को इस कार्य के लिए बधाई देनी चाहिए कि उसने कम से कम इन बेचारों के लिए तो यह बंदोबस्त कर ही दिया है. आखिर हमारी सरकार इतनी निकम्मी थोड़े ही है.
अब इतनी उत्सुकता दिखा रहे हैं तो चलिए उनकी कैंटीन में भोजन की दरें आप को भी पढवा ही देते हैं.
1. चाय ----------- 1.00 रूपया
2. सूप ------------ 5.50 रुपये
3. दाल ----------- 1.50 रुपये
3. मील ----------- 2.00 रुपये
4. चपाती -------- 1.00 रूपया
5. डोसा ---------- 4.00 रुपये
6. वेज बिरयानी - 8.00 रुपये
7. फिश --------- 13.00 रुपये
8. चिकन ------- 24.50 रुपये
अब जब सरकार गरीब लोगो के लिए इतना कुछ कर रही है तो कम से हम लोगो को आय कर देने में तो बिलकुल भी दुःख का अहसास नहीं होना चाहिए.
वाकई हमारी लोकप्रिय सरकार इन गरीबों के लिये बढिया इंतजाम कर रही है ।
ReplyDeleteअरे मैं तो कहता हूँ इनसे इत्नना भी नहीं लेना चाहिए बेचारे, कहाँ से देंगे.
ReplyDeleteबेचारे क्योकि सही में इन्होने चारा तो बेच ही दिया है.
और दूसरी बात ये की ये वाकई गरीब है क्योकि जो धन से गरीब हैं वो तो फिर भी अपने कर्म से या जैसे भी धनोपार्जन कर लेंगे. मगर ये तो मानसिक तौर पे गरीब हैं.....ये कभी नहीं अमीर होंगे....
अरे क्या इन लोगों से भी पैसा लिया जाता है?
ReplyDeleteबहुत गरीब हैं।
ReplyDeleteइनके लिए झुनका भाखर सेंटर भी खुलवाया जाना चाहिए।
ओह नो… तब तो इन लोगों को एक किलो प्याज़ खरीदने के लिये लोन लेना पड़ेगा… :)
ReplyDeleteisnt it? This is a mockery of the whole system. Hamara Bharat gareebon k liye nahi Ameeron k liye hee hae
ReplyDeleteIn SALO ko to mufat main khilana chahiye.
ReplyDeleteBalki inko chahiye ki kisi Gurudware ke samne khada kar dena chahiye.
Ham kamate rahe aur ye sasure khate rahe.
बेचारे
ReplyDeleteवाक़ई इनको मंहगाई से बचाया जाना ज़रूरी है
हमारे देश की सरकार के नजर में सांसद,मंत्री सबसे गरीब है.......तभी तो उनके लिए एक रूपये में चाय तक की व्यवस्था है...... हमारे देश की सरकार निकम्मी नहीं है........यही नहीं देश के विभिन्न जिलों के सरकारी सर्किट हाउसों में भी विधायकों तथा अधिकारीयों के सस्ता खाने का खर्चा भी सरकार इस देश के उन नागरिकों के खून पसीने से दिए गए टेक्स के पैसे से उठाती है जिन्हें दो वक्त ठीक से खाना भी नसीब नहीं होता है .......
ReplyDeleteवैसे सुना है अब कुमारी शैलजा ... जो कि शायद गरीबी उन्मूलन मंत्री है ... इन गरीबो के लिए और भी लाभदायक योजनायें ले कर आ रही है !
ReplyDeleteभगवान् उनका भला करें !
bahut mahgayi hai
ReplyDeletebahut khub
...
mere blog par
"jharna"
bechaare garib saansad....oh
ReplyDeleteभगवान् भला करें !
ReplyDeleteसही है भाई जान
ReplyDeleteसब कुछ उल्टा पुलटा है यहाँ
.................
प्रिय भाई शहनवाज़ सिद्दीकी जी
ReplyDeleteनमस्कार !
आशा है, सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
गरीब सांसदों को सस्ता भोजन पढ़ कर जहां आपके लेखन-कौशल से चहरे पर मुस्कुराहट आती रही , वहीं आम आदमी और सांसदों के सुख-सुविधाओं की तुलना करते हुए मन में छटपटाहट भी महसूस होती गई ।
…लेकिन अवाम को फ़ुर्सत ही कहां है ? … और, मज़्हब और दल की दलदल से निकल कर सोचने , संघर्ष करने की आदत कहां है ? रहेंगे ये भेदभाव हमेशा ! दलेंगे ये हमारी छाती पर मूंग लगातार !
और क्या बस… … … !
आपके लिए मेरी एक रचना की कुछ पंक्तियां -
सबसे आगे मेरा इंडिया
मौज मनाए भ्रष्टाचारी !
न्याय व्यवस्था है गांधारी !
लोकतंत्र के नाम पॅ
तानाशाही सहने की लाचारी !
हत्यारे नेता बन बैठे !
नाकारे नेता बन बैठे !
मुफ़्त का खाने की आदत थी
वे सारे नेता बन बैठे !
गिद्ध भेड़िये हड़पे सत्ता !
भलों - भलों का साफ है पत्ता !
न्याय लुटा , ईमान लुट गया ,
ग़ाफ़िल मगर अवाम अलबत्ता !
जीवन सस्ता , महंगी रोटी !
जिसको देखो ; नीयत खोटी !
नेता , दल्ले , व्यापारी मिल'
जनता की छीने लंगोटी !
मक़्क़ारों की मौज यहां पर !
गद्दारों की मौज यहां पर !
नेता पुलिस माफ़िया गुंडों
हत्यारों की मौज यहां पर !
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
theek keh rahe hai par mujhe lagta hai ye sab vote ke liye hi kiya jaata hai...sarkaar jo karti hai apne fayeda ke liye....jab itna ghottala kiya hai...toda sa gareeb ko de diya toh inke liye kya fark pada....vote ke liye toh itna kr hi sakti hai...
ReplyDeletemain toh yahi kahungi humhri sarkaar aaj bhi soooo rahi hai ,aur behad aalsi hai...
व्यंग्य दमदार है
ReplyDeleteअब आये ना फॉर्म में :)
प्रणाम
ये बेचारे तो इतने गरीब हैं कि इन्हें फ्री में खाना दिया जाना चाहिए।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
वाह क्या इंतजाम है..
ReplyDeleteआश्चर्यजनक, आंखे खोलने वाली जानकारी ....
ReplyDeleteशुभकामनायें शाहनवाज भाई !
पर ये सस्ता खाना भी कहाँ किसी काम का है उनके... मेरे एक मित्र ने सासद भवन की लाइब्रेरी के एक प्रोजेक्ट पर काम किया था कुछ दिन.. बता रहा था कि नेता साले तो कुछ खाते ही नहीं हैं.. बिरयानी खाने पर बदहजमी हो जाती है.. खीर और रसगुल्ला खाने पर शुगर बढ़ जाता है.. तेल-मसाले से कलेजे में जलन.. कोइ वहाँ कैंटीन में नीम्बू-पानी पीता है तो कोइ सत्तू और दही फेंटवाता है... इस सस्ते भोजन का आनद तो अन्य गरीब (अधिकारी और अन्य कर्मचारी) ज्यादा लेते हैं... :)
ReplyDeleteवैसे यह व्यवस्था तो इसलिए बनाई गयी थी कि देश के सेवक संसद में सस्ता भोजन करके देश के लिए मेहनत से काम करें.. पर... चलिए जब इतना करोड़ों अरबों लूट रहे हैं तो दाल और बिरयानी में कितना पैसा खा जायेंगे हमारा.. खाने दीजिए सालों को...
ye aap galat bol rahe ho ki khane do ,,, kyo khane do ? its time to move on ... ab koi samjhauta nahi .....
Deleteऊपर के मेन्यू में कुछ आइटम छूट गए है -- जैसे नोटों की बिरयानी.
ReplyDeleteजिस ने पढ़ा
ReplyDeleteउस ने कहा- हे भगवान!
पर वह तो आज कल लापता है
है किसी को पता वह कहाँ है?
मुझे पता लगा है
अगले चुनाव में सांसद बनने को
हाईकमान के चक्कर लगा रहा है।
जब पेट्रोल पर सब्सिडी मिलती है तो खाने पर भी मिलती रहे।
ReplyDeletehai ram itna mehnga bhojan . sarkar in logon ke kapre utar rahi hai. chahye to yeh the in ko khana khane ke lye kuch sath men dakshina bhi deni chahye. sarkar kuch bhi khyal nahin rakhti.
ReplyDeleteबेचारे.... अरे इन्हे जुते भी तो चाहिये ? क्यो ना इस काम के लिये जनता की सेवा ली जाये, ओर इन्हे मुफ़त मे जुते मारे जाये
ReplyDeleteवाह.........वाह शाहनबाज भाई बहुत खूब । शानदार व्यंग्य ।
ReplyDeleteआपने ये गरीब भी नहीँ छोड़े कम से कम इन पर तो रहम खाते ।
" है जान से प्यारा ये दर्दे मुहब्बत...........गजल "
मै तो सोच ही नहीं पा रहा हूँ क्या कहूं ??
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - नयी दुनिया - गरीब सांसदों को सस्ता भोजन - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
आंखे खोलने वाली रचना। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी
विचार
क्या खिंचाई की शाहनवाज़ भाई, पहली बार बहुत दुःख के साथ बड़ा मज़ा आया.
ReplyDeleteव्यंग्य दमदार है,बेहतरीन अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कटाक्ष ...सच ही संसद गरीब हैं ...
ReplyDeleteमैं तो खुश हूँ कि मै साँसदों से अमीर हूँ। कम से कम सस्ते भोजम के लिये सरकार से गुहार तो नही करती। सभी नेताओं के पीले कार्ड बनवा देने चाहिये। आशीर्वाद।
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई, आपके ब्लॉग का ले आउट बहुत प्यारा लगता है। लगता है कि अब दिल्ली आकर आपसे कुछ तकनीकी ज्ञान सीखना पडेगा।
ReplyDelete-------
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वाकई इन गरीबों के लिये
ReplyDeleteबढिया इंतजाम किया गया है
बढ़िया पोस्ट
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
Kash, yahi bhojan aam logon ke liye bhi uplabdh hota !
ReplyDeleteदेर से पहुंचने पर क्षमा...
ReplyDeleteवाकई जानकर अच्छा लगा कि गरीबों के लिए कहीं कुछ ते है....
गणतंत्र दिवस पर बधाई
कहा न था...सरकार का हाथ गरीबों के साथ....
ReplyDeleteदेखो तो,कितना ख़याल रखती है सरकार अपने दबे कुचले गरीब तबके का..