एक व्यक्ति अपने कार्यालय से घर पर फ़ोन करता है तो एक अजीब महिला जवाब देती है:
महिला: नौकरानी
व्यक्ति: लेकिन हमारे घर पर तो कोई नौकरानी नहीं है?
महिला: मुझे आज सुबह ही घर की मालिकिन ने रखा है.
व्यक्ति: खैर! मैं उसका पति हूँ, क्या वह वहां पर है?
महिला: उम्म्म्म.... परर्रर.... वह तो ऊपर... अपने बेडरूम में किसी और व्यक्ति के साथ है, उनकी आवाजों से तो मुझे लगा कि वह उसका पति है.
इतना सुनकर व्यक्ति को गुस्से में लाल-पीला हो जाता है.
व्यक्ति: सुनो! क्या तुम 50,000 रूपये कमाना चाहती हो?
महिला: (रोमांचित होते हुए) मुझे इसके लिए क्या करना होगा?
व्यक्ति: मैं चाहता हूँ, कि अलमारी में रखी मेरी गन उठाओ और मेरी पत्नी और उस घटिया आदमी को गोली मार दो.
वह महिला फ़ोन नीचे लटका कर चली जाती है... व्यक्ति उसके पैरों की आवाज़ और दो धमाकों की आवाज़ सुनता है. महिला वापिस आकर फ़ोन पर मालूम करती है:
महिला: मृत शरीरों के साथ क्या करना है?
व्यक्ति: इनको स्विमिंग पुल में फेंक दो!
महिला: क्या? लेकिन यहाँ तो कोई स्विमिंग पुल नहीं नहीं!
बहुत देर तक चुप रहने के बाद
व्यक्ति: उह....मम.... क्या यह 25xx43xx न. है?
महिला: नहीं!
व्यक्ति: ओह्ह.... माफ़ करना.... रोंग नंबर...
keywords: critics, Wrong Number
वाह क्या कमाल की पोस्ट लिखी ।
ReplyDeleteहा हा हा…………बेमौत मरवा डाला।
ReplyDeleteबाप रे बाप।
ReplyDeleteMast likha hai!!!!!
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई,
ReplyDeleteमैं तो चुटकलों में भी दर्शन ढूंढ्ता हूं।
जल्दबाजी और गुस्से में निर्णय न लो।
लालच वाकई बुरी बला है।
और अब पछ्ताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत।
सुज्ञ भाई,
ReplyDeleteमैं भी बिना सही मकसद के कोई बात प्रस्तुत नहीं करता हूँ. मेरे हास्य-व्यंग में भी हमेशा ही सन्देश होता है. मेरी इस पोस्ट के गर्भ में छुपी हुई सीखों को सबके सामने लाने के लिए धन्यवाद!
... kyaa baat hai !!!
ReplyDeletejald baji ka yahi haal hota hai.
ReplyDeleteअरे! ये क्या हो गया
ReplyDeleteगजब ढ़ायो रामा, जुलम ढ़ायो रे
ReplyDelete---------
वह खूबसूरत चुड़ैल।
क्या आप सच्चे देशभक्त हैं?
सबने लिखा है कमाल की पोस्ट
ReplyDeleteवाकई कमाल और धमाल पोस्ट है ये
प्रिय शाहनवाज़ जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत समय बाद आपके यहां पहुंचा हूं
......कमाल हैं कमाल की पोस्ट
...........हार्दिक शुभकामनाएं
संजय भास्कर
ऐसी घटना को पढ़ते हुए तो रोंग नंबर की फीलिंग नहीं आ रही है
ReplyDeleteपर हो भी सकता है
बहुत ही मजेदार।
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार। सब कुछ है इस में- सस्पेंस, थ्रिल, रोमांस, हारर...
ReplyDelete@ शाह जी , बाज़ आदमी ऐसे होते हैं कि पोस्ट से पहले अपनी तारीफ करना नहीं भूलते ।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट से ज्यादा आपकी जवाबी टिप्पणी पसंद आई ।
waah....
ReplyDeletecomedy of errors ya dark humor ...
mast...
उफ़...हद हो गई :)
ReplyDeleteकमाल का ड्रामा!! सच है, जान लेना अब छोटी सी गलतियों शामिल हो गया है.
ReplyDeleteउफ्फ!!! ये क्या कर डाला....
ReplyDeleteएक बहुत बड़ी ग़लतफहमी....खूब लिखा आपने..शाहनवाज़ भाई बढ़िया पोस्ट...आभार
ReplyDeletehosh rakh bhai,
ReplyDeleteinna utabla nhi hone ka,
baise ek hi din me itne scene badal sakta he kya,
naukrani bhi, pati bhi,
hypothetical situtaion
कहानी में बहुत ज़बरदस्त ट्विस्ट ...
ReplyDelete@ सिद्दीकी साहब ! आपके लिए एक छोटा सा इल्मी तोहफा है मेरे ब्लाग पर ।
ReplyDeleteज्ञान पहेली
क्या आप जानना चाहेंगे कि मैंने निम्न सिद्धांत किसके ब्लाग पर प्रतिपादित किया ?
1, भारतीय नागरिक जी ! जी से पूरी तरह सहमत ।
2, कमी कभी धर्म नहीं होती इसीलिए धर्म में कभी कमी नहीं होती । कमी होती है इनसान में जो धर्म के बजाए अपने मन की इच्छा पर या परंपरा पर चलता है और लोगों को देखकर जब चाहे जैसे चाहे अपनी मान्यताएँ खुद ही बदलता रहता है ।
3, जिसके पास धर्म होगा वह न अपने मन की इच्छा पर चलेगा और न ही परंपरा पर , वह चलेगा अपने मालिक के हुक्म पर , जिसके हुक्म पर चले हमारे पूर्वज ।
4, धर्म बदला नहीं जा सकता क्योंकि यह कोई कपड़ा नहीं है ।
5, जो बदलता है उस पर धर्म वास्तव में होता ही नहीं है ।
6, अब आप बताइए कि नृत्य और हर पल आप उस मालिक के आदेश पर चलते हैं या अपनी इच्छाओं पर ?
तब पता चलेगा कि वास्तव में आपके पास धर्म है भी कि नहीं ?
देखें -
ahsaskiparten.blogspot.com
आँखें खोलने वाली पोस्ट ! शुभकामनायें
ReplyDeleteha ha ha,mast likha hai
ReplyDeleteyahan ek baat mai kehna chaungi ki es post se ye 'sabak' le ki ''aadmi ko apni patni par vishwaas hona chahiye...''na ki kisi ki baat sunkar bokhalla jaye...aur apne gusse par kaabu rakhe....
nice one.....
heheheheee hahahha... Oh my God!!!
ReplyDeleteजोक है तो मज़ा आ रहा है... पर वाकई में ऐसा हो जाए... बाबा रे बाबा....
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete