हमारे युवराज जब भी गरीबों की बस्तियों में रात गुजारते हैं, तो विपक्ष बेचारे युवराज के पीछे पड़ जाता है और उनकी कुर्बानी को नाटक करार दे दिया जाता है. अब आप ही बताइए, किसी गरीब के घर पचास बार चैक करके बनाई गई दाल-रोटी खाना क्या किसी कुर्बानी से कम है? युवराज अगर महाराज बनने से पहले अपनी प्रजा की नब्ज़ को पहचानना चाहे तो क्या कोई बुराई है? अगर आज युवराज गरीबों की परेशानियों को जानेगे नहीं तो कल कैसे पता चलेगा कि आखिर गरीब लोग कितनी परेशानी झेल सकते हैं! (परेशानियाँ झेलने वाले की हिम्मत के अनुसार ही तो डालनी पड़ती हैं.) मेरे विचार से तो यह कोर्स हर उभरते हुए नेता को करना चाहिए. अरे! बुज़ुर्ग नेताओं को क्या आवश्यकता है? तजुर्बेकार नेतागण तो पहले ही खून चूसने में माहिर होते हैं!
वैसे भी आज युवराज के पास समय है, तो समय के सदुपयोग पर इतना हो-हल्ला क्यों हो भला? यह सब आज नहीं करेंगे तो क्या कल करेंगे? कल जब महाराज बन जाएँगे तो फिर गरीब लोगों के लिए समय किसके पास होगा? फिर भला कैसे पता होगा कि कल्लू को अच्छे खाने की ज़रूरत ही नहीं है, वह बेचारा तो पतली दाल में भी बहुत खुश है.
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
Rahul Gandhi is the future of INDIA.
ReplyDeletevery nice post
ReplyDeleteये बात तो है की इतना हल्ला क्यों .
आप कोर्स की बात करते है . अजी कानपुर के सांसद श्री प्रकाश जैसवाल जी ने तो राहुल गाँधी की नक़ल करते हुए एक दलित के यहाँ अपने चमचो के साथ रात बिताई और मिडिया ने जैसे ही उन की पोल खोली की घर के बाहर गुलगुले गददे पर जनाब ने आराम से रात बिताई .सांसद जी ने हाई कमान तक माफ़ी मांगी
अधिकतर परम्पराए ऐसे ही बनती है नक़ल से
आप काफी अच्छा लिख रहे है थोडा सा और लिखते तो अच्छा होता
अगर आज युवराज गरीबों की परेशानियों को जानेगे नहीं तो कल कैसे पता चलेगा कि यह लोग कितनी परेशानी झेल सकते हैं! मेरे विचार से तो यह कोर्स हर उभरते हुए नेता को करना चाहिए.
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई ,आपसे पूर्णतया सहमत हूँ ,ऐसा कोर्स होना ही चाहिए जो की हमें लोगों की परेशानियों के बारे में और अधिक बताने में सक्षम हो ,राहुल गाँधी के इन क़दमों से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए
महक
अच्छा व्यंग्य
ReplyDeleteBadhia hai.
ReplyDeleteYeh Rahul Gandhi ki tarif ki hai ya Khichai?
ReplyDelete@ abhishek1502
ReplyDeleteथोडा सा और लिखते तो अच्छा होता
अभिषेक भाई, क्या करूँ मेरा यह ब्लॉग है ही छोटी सी बात के लिए :-) अगर बड़ी हो गई तो ब्लॉग की आत्मा ही बदल जाएगी. आजकल के समय में लोगों के पास समय कम है, इसलिए पूरी बात को छोटे शब्दों में लिखना भी आना चाहिए. अभी यह मुझे आता तो नहीं है, इसलिए इस ब्लॉग के द्वारा कोशिश कर रहा हूँ. वोह कहते हैं ना कि "प्रेक्टिस कर रहा हूँ". ;-)
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
अरे भाई युवराज को युवराज मत कहिये उनको बुरा लगता है | सही भी है जी वो अब सीधे राजा कहलाना ही पसंद करेंगे | जी उनको किसी कोर्स की जरुरत नहीं है ये तो उनके खून में ही है |
ReplyDeleteमहक भाई,
ReplyDeleteमैंने जिस कोर्से के बारे में व्यंग्य किया है, वोह तो इस बारे में था कि "देशवासियों का खून कैसे चूसा जाता है, उन्हें कैसे बेवक़ूफ़ बनाया जाता है". तजुर्बेकार नेता तो बिना किसी तरह के कोर्स को करे इस महान कार्य को केवल अपने तजुर्बे का प्रयोग करके अंजाम देते हैं
;-)
राहुल को राजनीति करनी है...राजनीति के मायने होता है वो राज जिसमें कोई नीति न हो...राहुल खुद मानते हैं कि इस देश में बिना सही जगह कनेक्शन, परिवार के नाम, पावर के ऊंचे मकाम पर नहीं पहुंचा जा सकता...इसके लिए वो खुद अपना उदाहरण भी देते हैं...राहुल चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए हैं, इस बात को कोई नकार नहीं सकता...लेकिन इसके बावजूद राहुल गरीब, आदिवासी, किसानों के बीच पहुंच रहे हैं...मीडिया राहुल को हर जगह फॉलो करता है...इसी बहाने असली भारत के मुद्दे हाईलाइट में तो आ जाते है...वरना कौन नियमगिरी के आदिवासियों की बात करता...कौन विदर्भ की कलावती को जानता...राहुल युवा हैं, ऊर्जावान है...बस उन्हें ज़रूरत है कि वो अपने इर्दगिर्द शातिर और घाघ कांग्रेसियों का काकस न बनने दें...ये वही कांग्रेसी हैं जिन्होंने पिछले छह दशक में देश का बंटाधार किया है...एक देश में दो देश बना दिए हैं...राहुल इसी फर्क की बात अपनी हर सभा में करते हैं...राहुल को बस यही समझना है कि मनमोहनी इकोनामिक्स मुकेश अंबानी को जल्दी ही दुनिया का सबसे अमीर आदमी बना देगी...और दूर कहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का कलुआ दो वक्त की रोटी से भी मोहताज हो जाएगा...
ReplyDeleteजय हिंद...
मस्त!!
ReplyDeleteइस युवराज के पास अपना है क्या जो यह जनता को देगा ,मेरा दावा है की ऐसे लोग जिसदिन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे ये देश और समाज खत्म ही हो जायेगा क्योकि ऐसे लोग प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुँचने के लिए देश,समाज और ईमानदारी को बेचकर ही प्रधानमंत्री बन पातें हैं ..शर्मनाक है इसकी हरकत इस व्यक्ति से देश को बड़ी आशायें थी लेकिन यह पूरी तरह निकम्मा और ड्रामेवाज निकला...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteकहानी ऐसे बनीं–, राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
अजी सेल्फ़स्टाइल युव्राज कहिये इन्हे तो !
ReplyDeleteअगर आज युवराज गरीबों की परेशानियों को जानेगे नहीं तो कल कैसे पता चलेगा कि आखिर गरीब लोग कितनी परेशानी झेल सकते हैं! (परेशानियाँ झेलने वाले की हिम्मत के अनुसार ही तो डालनी पड़ती हैं.) मेरे विचार से तो यह कोर्स हर उभरते हुए नेता को करना चाहिए. अरे! बुज़ुर्ग नेताओं को क्या आवश्यकता
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य बेहतरीन!
इन लोगों नें ही भारत में
ReplyDeleteइक पाकिस्तान बनाया है
सब कांग्रेस की माया है....
बढिया व्यंग्य रचना......
ये भी हो सकता है कि विपक्षी नेता लोगों को ये सब करना अच्छा न लगता हो तो इसीलिए इसमें नुक्स निकाल रहे हों कि ये करना भी कोई ख़ास बात है !
ReplyDeleteबहुत ही विनम्रता से कहना चाहता हूँ.
ReplyDeleteराहुल गांधी जी ने अच्छी शुरुआत की थी. लेकिन मुझे लगता है कि वो एक image trap में फंस गए हैं. media सिर्फ और सिर्फ उनको फोल्लो करता है और विशेष कर english media. गरीबो के लिए अच्छा होता अगर राहुल जी उन्हें अपने घर पे बुला के खिलाते ना कि उन के घर जाकर खुद खाते. खाते भी तो उन्हें पत्रकारों को बुलाने कि क्या जरूरत थी.
जहाँ तक बात मुद्दे की है तो दुनिया भर के मुद्दे तो उन्होंने उठाये ही नहीं. कोई भी ऐसा मुद्दा जो कांग्रेस-शाषित प्रदेश में है उन्हें क्यों नहीं उठाते.
लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए.
"ये पब्लिक है, सब जानती है."
राहुलजी, पार्टी से उठकर काम करें तो अच्छा रहेगा.
अन्य कांग्रेसी नेता, चापलूसी ना करें तो बहुत अच्छा होगा.
कांग्रेसी नेता कहते हैं कि "राहुल जी में कुछ बात है". अरे उनमे कुछ बात है जो कि अभी राजनीति में आये हैं तो आप इतने वर्षो से क्या पार्टी और राजनीति में झख मार रहे हैं. आपमें बात क्यों नहीं आयी अब तक. ये आपके खुद के ऊपर सवाल नहीं है क्या....
राजेश.