आप सभी लोगो का इतना प्यार और प्रोत्साहन देख कर अभिभूत हो गया हूँ, सोचा नहीं था मेरे अहसास में इतने लोग शरीक होंगे. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो कम्प्यूटर से दूर थे, लेकिन मेरी पोस्ट के बारे में सुनकर उन्होंने फ़ौरन फ़ोन किया. कल पुरे दिन मुझे फ़ोन आते रहे, यहाँ तक की रात को 1 बजे तक दोस्तों से फ़ोन पर बात होती रही. सबसे आखिर में महफूज़ भाई का फ़ोन आया और तकरीबन आधा-पौना घंटा बात की, उन्होंने जो बातें मुझे समझाई वह बहुत ही ज़बरदस्त थी. जानता हूँ कि उन्होंने गुस्से में कुछ लिखा, लेकिन मानता हूँ कि उनके लिखने का मकसद नेक है.
व्यक्तिगत आक्षेप से मैं कभी पहले भी नहीं डरा हूँ और ना ही मुझे उसपर कभी गुस्सा आता है. मैं तो हमेशा प्रेम का समर्थक रहा हूँ, पिछले 2 वर्षो से ऑरकुट पर आर्य समाज कम्युनिटी के लोगो से आस्था पर तर्क संगत बातचीत होती रहती है. मैंने उनकी आस्था पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया, मेरी आस्था से सम्बंधित जो उनकी शंकाएँ अथवा प्रश्न थे, केवल उसके ही उत्तर दिए. क्योंकि मेरा मानना है कि अगर कहीं भ्रम की स्थिति के कारण दो समुदायों में कडुवाहट है, तो हमारा फ़र्ज़ है कि अगर हमारे पास जानकारी है तो सही बात से अवगत करा कर भ्रम अथवा शंका का निवारण किया जाए, ताकि कडुवाहट समाप्त हो. उनमे से कई लोगो ने मुझे गलियां भी दी, लेकिन मैंने हमेशा प्रेम से ही बात की. जिसका फल यह हुआ कि उनमे से कई लोगो को एहसास हुआ, उन्होंने कहा भी कि तुम कैसे मुसलमान हो? हम तुम्हे और तुम्हारी आस्था को गलियां देते हैं लेकिन तुम्हे गुस्सा नहीं आता, जबकि और मुसलमानों के साथ ऐसा नहीं है. उनमे से कई लोगों ने मेरी बात को समझा और मैंने उनकी.वहां कई लोगो से मेरी दोस्ती भी हुई, अक्सर उस कम्युनिटी के कुछ लोग मेरे लेख पढ़ते हैं और टिपण्णी भी करते हैं.
पिछले कुछ दिनों से कुछ अधिक ही भावुक हो गया था, यहाँ तक कि कल की पोस्ट लिखने से पहले बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था, लेकिन आज अपने आपको बहुत ताकतवर महसूस कर रहा हूँ. पूरी तरह ब्लोगिंग छोड़ने की बात तो कल भी नहीं की थी, केवल ब्लोगिंग का जो मेरा नोर्मल रूटीन था उसे अलविदा कहा था और उस पर मैं आज भी कायम हूँ. कल लोगो से बात करने पर एक चीज़ मैंने सोची है वह यह कि अब मैं नए लेखकों को प्रोत्साहन और ब्लॉग जगत में लाने का काम करूँगा. मेरा ब्लॉग जगत में आने का मकसद अपनी प्यारी भाषा हिंदी का प्रचार और प्रसार था, आने वाले समय में इस पर ही काम करूँगा.
अपने कल के फैसले पर अब भी कायम हूँ, जहाँ भी मुझे लगेगा कि किसी धर्म अथवा व्यक्ति विशेष के खिलाफ लिखा जा रहा है, वहां मैं नहीं जाऊंगा. लोग अगर मुझसे किसी प्रश्न का उत्तर चाहते हैं तो जहाँ तक संभव हो सकेगा अवश्य दूंगा लेकिन बेकार की और कुतर्कों वाली बहस से बचूंगा. वैसे भी व्यस्तता वाले जीवन में इतना समय कहाँ है किसी के पास? अपने थोड़े से समय में जनहित के कार्यों की थोड़ी सी कोशिश हो जाए और कुछ लोगो के चेहरे पर मुस्कान आ जाए यह मेरा पहले भी मकसद था, अभी भी रहेगा.
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अता करता हूँ!
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
व्यक्तिगत आक्षेप से मैं कभी पहले भी नहीं डरा हूँ और ना ही मुझे उसपर कभी गुस्सा आता है. मैं तो हमेशा प्रेम का समर्थक रहा हूँ, पिछले 2 वर्षो से ऑरकुट पर आर्य समाज कम्युनिटी के लोगो से आस्था पर तर्क संगत बातचीत होती रहती है. मैंने उनकी आस्था पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया, मेरी आस्था से सम्बंधित जो उनकी शंकाएँ अथवा प्रश्न थे, केवल उसके ही उत्तर दिए. क्योंकि मेरा मानना है कि अगर कहीं भ्रम की स्थिति के कारण दो समुदायों में कडुवाहट है, तो हमारा फ़र्ज़ है कि अगर हमारे पास जानकारी है तो सही बात से अवगत करा कर भ्रम अथवा शंका का निवारण किया जाए, ताकि कडुवाहट समाप्त हो. उनमे से कई लोगो ने मुझे गलियां भी दी, लेकिन मैंने हमेशा प्रेम से ही बात की. जिसका फल यह हुआ कि उनमे से कई लोगो को एहसास हुआ, उन्होंने कहा भी कि तुम कैसे मुसलमान हो? हम तुम्हे और तुम्हारी आस्था को गलियां देते हैं लेकिन तुम्हे गुस्सा नहीं आता, जबकि और मुसलमानों के साथ ऐसा नहीं है. उनमे से कई लोगों ने मेरी बात को समझा और मैंने उनकी.वहां कई लोगो से मेरी दोस्ती भी हुई, अक्सर उस कम्युनिटी के कुछ लोग मेरे लेख पढ़ते हैं और टिपण्णी भी करते हैं.
पिछले कुछ दिनों से कुछ अधिक ही भावुक हो गया था, यहाँ तक कि कल की पोस्ट लिखने से पहले बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था, लेकिन आज अपने आपको बहुत ताकतवर महसूस कर रहा हूँ. पूरी तरह ब्लोगिंग छोड़ने की बात तो कल भी नहीं की थी, केवल ब्लोगिंग का जो मेरा नोर्मल रूटीन था उसे अलविदा कहा था और उस पर मैं आज भी कायम हूँ. कल लोगो से बात करने पर एक चीज़ मैंने सोची है वह यह कि अब मैं नए लेखकों को प्रोत्साहन और ब्लॉग जगत में लाने का काम करूँगा. मेरा ब्लॉग जगत में आने का मकसद अपनी प्यारी भाषा हिंदी का प्रचार और प्रसार था, आने वाले समय में इस पर ही काम करूँगा.
अपने कल के फैसले पर अब भी कायम हूँ, जहाँ भी मुझे लगेगा कि किसी धर्म अथवा व्यक्ति विशेष के खिलाफ लिखा जा रहा है, वहां मैं नहीं जाऊंगा. लोग अगर मुझसे किसी प्रश्न का उत्तर चाहते हैं तो जहाँ तक संभव हो सकेगा अवश्य दूंगा लेकिन बेकार की और कुतर्कों वाली बहस से बचूंगा. वैसे भी व्यस्तता वाले जीवन में इतना समय कहाँ है किसी के पास? अपने थोड़े से समय में जनहित के कार्यों की थोड़ी सी कोशिश हो जाए और कुछ लोगो के चेहरे पर मुस्कान आ जाए यह मेरा पहले भी मकसद था, अभी भी रहेगा.
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अता करता हूँ!
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
शाह नवाज़ जी, मैंने तुम्हारे थोड़े ही लेख पढ़े हैं लेकिन उससे ही अंदाज़ा हो गया था की बहुत अच्छा लिखते हो. मेरे ख़याल से आपको लोगो के बातो में नहीं आना चाहिए, लोग तो हमेशा ही टांग खीचते हैं... आप परेशान क्यों होते हैं आपने खुद ही तो कहा है की जिहाद एक पवित्र शब्द है तो फिर तो यह आपके लिए गर्व की बात होनी चाहिए. जिन्हें जिहाद का मतलब नहीं पता वाही आपके लिए ऐसा बोलते हैं, आपका फ़र्ज़ है की उन्हें जिहाद का मतलब समझाएं, ना की समझना बंद करे. आपको जितना भी वक़्त हो सबके ब्लॉग पढने चाहिए.
ReplyDeleteआपका दोस्त
शहरयार
लोगो के कमेन्ट पढ़ कर लगा की लोग आपसे कितनी मोहब्बत करते हैं, फिर आपको परेशान होने की क्या ज़रूरत है.
ReplyDeleteआपका फैसला ठीक है । जीव हत्या कैसे रोके देखें drayazahmad.blogspot.com
ReplyDeleteमेरे विचार से, समय की कमी या कार्य की व्यवस्थता के कारण चिट्ठाकारी से दूर जाना तो उचित है। लेकिन किसी की टिप्पणी या कुछ कहने से चिट्ठाकारी छोड़ने का कोई औचित्य नहीं है। अपनी बात तो कहनी चाहिये किसी को पसन्द हो या नहीं। आपकी विचार धारा के कुछ लोग तो मिलेंगे ही।
ReplyDeleteसच सोच कर लिखिये। अन्ततः सच ही जीतता है।
ReplyDeleteलोगो के कमेन्ट पढ़ कर लगा की लोग आपसे कितनी मोहब्बत करते हैं, फिर आपको परेशान होने की क्या ज़रूरत है?
ReplyDeleteआप खाली दोस्त लोगों कागिनती याद रखिए..जे दिन दोस्त लोग का गिनती कम होने लगे ऊ दिन आत्मअवलोकन करने का जरूरत है...
ReplyDelete@शाहनवाज़ भाई ,पिछली पोस्ट से आपको पता लग ही गया होगा की ब्लॉग जगत में आपकी मौजूदगी लोगों के लिए कितने मायने रखती है ,आपको मेरी तरफ से बहुत-२ शुभकामनायें
ReplyDeleteहम हमेशा आपके साथ रहेंगे , फिर जाने की बात ना करियेगा ।
ReplyDeleteAchha faisla liya hai
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभाई जान , आपको तो पता ही है की मैं कोई ब्लॉगर नहीं हूँ पर फिर भी मैंने एक आदि बार लिखा है और वो भी आप ही की वजह से ! आप अपना ब्लॉग लिखना जारी रखो मैं भी प्रयत्न करूँगा की आपकी लिखी गयी पोस्ट्स को पढूं और मैं भी कुछ लिखूं और एक आचा ब्लॉगर बन जाऊ.
ReplyDeletebhaijaan m fir se aa gya hu
ReplyDeleteaur meine jis kaam ke liye blog choda tha wo poora ho gya h
ab fir se blog jagat pe mehfil sajayenge
kuch tum apni batana kuch hum apni batayenge
कथित गर्मागर्म बहस के लिए,
ReplyDeleteलेकिन तथ्य पूर्ण चर्चा के लिये मुझे सदैव शाह नवाज़ भाई आपकी जरूरत रहेगी
हिम्मत ए मरदां मदद ए खुदा आपने सुना ही होगा ?
ReplyDelete@@@ मेरे से डरकर तो अच्छे अच्छे भाग गये पठ्ठे तू कब तक टिक सकता था ?
ये हुई ना बात
ReplyDeleteये पोस्ट पढकर मेरी मुस्कुराहट बढ गयी है।
प्रणाम