मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी

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  • मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी
    कभी मौत का डर, कभी डराती है ज़िन्दगी

    मौत तो आती है एक बार सताने को
    पर रोज़ ही आकर यह सताती है ज़िन्दगी

    जो लोग अक्सर खेलते हैं दीन दुनिया से
    अंजाम उनका बदतर बनाती है ज़िन्दगी

    हर तरफ मायूसियाँ भर जाए ज़िन्दगी में
    उस वक़्त तो यह खूब रुलाती है ज़िन्दगी

    शिद्दत के साथ इश्क ना कर इस हयात से
    पल भर में बेवफा यह हो जाती है ज़िन्दगी

    - शाहनवाज़ सिद्दीकी




    Keywords: इश्क, ज़िन्दगी, डर, दीन, दुनिया, मायूसियाँ, मौत, हयात

    28 comments:

    1. मौत तो आती है एक बार सताने को
      पर रोज़ ही आकर यह सताती है ज़िन्दगी

      क्या बात है-उम्दा गजल पढकर आनंद आ गया।

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    2. मौत तो आती है एक बार सताने को
      पर रोज़ ही आकर यह सताती है ज़िन्दगी

      बहुत अच्छी पंक्ति

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    3. बेहतरीन ग़ज़ल| जिंदगी के यह सारे पहलू भी कमाल के हैं .......दिल से मुबारकबाद|
      ब्रह्मांड

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    4. भावों के शिखर को छूती रचना।

      शिद्दत के साथ इश्क ना कर इस हयात से
      पल भर में बेवफा यह हो जाती है ज़िन्दगी

      उम्दा ग़ज़ल

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    5. बहुत ही अच्छी ग़ज़ल लिखी है शाहनवाज़ सिद्दीकी जी

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    6. मौत तो आती है एक बार सताने को
      पर रोज़ ही आकर यह सताती है ज़िन्दगी

      बहुत बढ़िया

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    7. क्या बात है-उम्दा गजल पढकर आनंद आ गया।

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    8. शाहनवाज़ सिद्दीकी जी
      कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब..........

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    9. शिद्दत के साथ इश्क ना कर इस हयात से
      पल भर में बेवफा यह हो जाती है ज़िन्दगी

      बहुत अच्छी लगी गज़ल...

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    10. सुन्दर है ग़ज़ल ,शिद्दत के साथ न सही , मगर जिन्दगी को इश्क किये बिना चलोगे कैसे ?

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    11. शिद्दत के साथ इश्क ना कर इस हयात से
      पल भर में बेवफा यह हो जाती है ज़िन्दगी

      ....बड़े दार्शनिक लहजे में जीवन का सच कह दिया...शानदार.
      ________________
      'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)

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    12. उम्दा प्रस्तुती ...शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति ...

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    13. वाह ! बहुत खूब ...बेहतरीन अभिव्यक्ति

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    14. जिन्दगी का रोज़ सताने का अन्दाज़ भाने लगा हमको।

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    15. दुनिया एक ऐसा घर है जिसके लिए फ़ना तय शुदा अम्र है. और इसमें बसने वालों के लिए यहाँ से बहरसूरत निकलना है. ---- हज़रत अली (अ.स.)

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    16. शानदार ग़ज़ल

      मुबारक !

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    17. कमाल का गजल है...एक एक सेर फलसफा बयान करता है!!

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    18. अच्छी ग़ज़ल । आपने ज़िदगी की सही तस्वीर पेश की

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    19. हक़ीक़त बयान की है.

      http://haqnama.blogspot.com/2010/08/success-of-life-sharif-khan.html

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    20. उम्दा ग़ज़ल,
      कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
      अकेला या अकेली

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    21. हमारी प्रोग्रामिंग कुछ ऐसी की जाती है कि जीवन का मूल तत्व बचपन बीतते ही निकल जाता है। फिर जो कूड़ा हमारे दिमाग में इकट्ठा होता रहता है,उससे गटर जैसी जिंदगी ही जी सकता है आदमी।

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    22. अँडा खाओ देश बचाओ मेरी नई पोस्ट देखें

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    23. शिद्दत के साथ इश्क ना कर --------जिंदगी |बहे सुंदर लीखा है |बधाई |मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है |आभार
      आशा

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    24. मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी
      कभी मौत का डर, कभी डराती है ज़िन्दगी
      fir kyon piyein na ham usay ji jan se bhala!!!
      dum bhar ke gum ko hamein pilati hai Zindagi

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