हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
-
अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
कभी वो खफा रहे, तो कभी हम खफा रहे
रहते थे साथ-साथ मगर आज क्या हुआ
कभी वो जुदा रहे, तो कभी हम जुदा रहे
वादा जो कर लिया था हमने साथ देने का
वो बेवफा रहे, तो हम भी बेवफा रहे
लिखती गई जो नगमा-ओ-अश`आर ज़िन्दगी
वहां वो कलम रहे और हम फलसफा रहे
हर सिम्त ढूँढती रही ज़िन्दगी वही पल
साकी-ऐ-जाम थे वो और हम राजदां रहे
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeleteसुंदर भाव
ReplyDeleteअच्छा कहा है...लिखते रहें...
ReplyDeleteनीरज
अति सुंदर
ReplyDeleteयह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
ReplyDeleteकभी वो खफा रहे, तो कभी हम खफा रहे
रहते थे साथ-साथ मगर आज क्या हुआ
कभी वो जुदा रहे, तो कभी हम जुदा रहे
आप अच्छा लिखते हैं, यु ही अच्छा लिखते रहिए
ReplyDeleteआपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया शब्दों में पिरोई रचना....बधाई...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत।
ReplyDeleteवादा जो कर लिया था हमने साथ देने का
ReplyDeleteवो बेवफा रहे, तो हम भी बेवफा रहे
बहुत ही उम्दा गज़ल
अच्छा लगा!!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट रविवार २९ -०८ -२०१० को चर्चा मंच पर है ....वहाँ आपका स्वागत है ..
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
वादा जो कर लिया था हमने साथ देने का
ReplyDeleteवो बेवफा रहे, तो हम भी बेवफा रहे..
क्या बात है !
बहुत अच्छी रचना।
ReplyDeleteहिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।
बहुत सुन्दर,
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल|पहला शे'र खासा पसंद आया|
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ,शानदार रचना ।
ReplyDeleteलिखती गई जो नगमा-ओ-अश`आर ज़िन्दगी
ReplyDeleteवहां वो कलम रहे और हम फलसफा रहे
हर सिम्त ढूँढती रही ज़िन्दगी वही पल
साकी-ऐ-जाम थे वो और हम राजदां रहे
....बहुत खूबसूरत गज़ल ..
प्रिय भाई शाहनवाज़ सिद्दीकी जी
ReplyDeleteनमस्कार !
अच्छी ग़ज़ल लिखी है ।
यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला
कभी वो ख़फ़ा रहे, तो कभी हम ख़फ़ा रहे
बढ़िया मत्ला है ।
लिखती गई जो नग़मा-ओ-अश`आर ज़िन्दगी
वहां वो कलम रहे और हम फ़ल्सफ़ा रहे
मुबारकबाद है इस शे'र के लिए ,
बहुत शानदार !
आपके ब्लॉग पर और भी विविध आलेख कविताएं पढ़ कर ख़ुशी हुई ।
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..सुंदर भाव.बधाई.
ReplyDelete____________________
'पाखी की दुनिया' में अब सी-प्लेन में घूमने की तैयारी...
Waah bahut khoob!
ReplyDeletearz kiya hae..( I dabble in sher-o-shayari from time to time..a part from a ghazal I have written)
Sanihaan hee fizaa bana lee humne,
bebasee apni yoon chupa lee humney..
kya bat hai.....mujhe to kalam bhi aapki aur falsafa bhi aap hi lage.....khoobsurat panktiya...
ReplyDeleteSong in Hindi
ReplyDeleteBlood Donation in Hindi
Data in Hindi
Fingerprint in Hindi
Rainbow in Hindi
Reference Book in Hindi
Forest Fire in Hindi
Glossary in Hindi
Language in Hindi