साल के शुरू में तबियत खराब हुई, पुरे शरीर में दर्द और हल्का बुखार था. पहले भी एक-दो-बार हुआ था, तब फैमिली डॉक्टर को दिखाया था, दवाई ली थी और ठीक हो गए थे. लेकिन इस बार दर्द जा ही नहीं रहा था, यूरिक एसिड का टेस्ट कराया तो वह भी नोर्मल था. एक-दो लोगो से सलाह लेकर एक मशहूर नर्सिंग होम के मशहूर डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने कई टेस्ट कराए जो कि करीब चार-पांच हज़ार रूपये में हुए, लेकिन सभी टेस्ट नोर्मल थे, ऊपर से डॉक्टर की महंगी फीस. इलाज की बीच में ही तबियत ठीक होने लगी. (वैसे भी इतना खर्च देखकर तो अच्छे-अच्छों की तबियत हरी हो जाती है).
छ: महीने तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन पिछले महीने फिर से वही परेशानी! पिछला अनुभव अच्छा नहीं रहा था, इसलिए इस बार फिर वही उलझन कि किस डॉक्टर को दिखाया जाए? कई लोगो से सलाह लेने के बाद हड्डियों के एक मशहूर डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने कुछ (बड़ी महंगी) दवाइयां लिखी और यूरिक एसिड का टेस्ट करवाने की सलाह दी. हमने फिर से टेस्ट करवाया, लेकिन नतीजा फिर से कुछ नहीं, रिजल्ट 4.1 आया था. हमने डॉक्टर को फोन लगाया तो डॉक्टर साहब ने कहा कि अभी तो दवाइयां लेते हुए 3-4 दिन ही हुए हैं, कम से कम 7-8 दिन दवाइयां लीजिये, उसके बाद मिलना. हम चुपचाप दवाइयां लेते रहे. 8 दिन बाद फिर से डॉक्टर को दिखाया तो रिपोर्ट देखकर बोले, "यूरिक एसिड की प्रोब्लम तो नहीं है" (अब जो रिपोर्ट में लिखा था, वही हमने फोन पर भी बताया था. फिर रिपोर्ट देखकर उन्हें क्या नया पता चला, यह हमारी समझ से बाहर था). खैर! उन्होंने बताया कि कोई अजीब से नाम वाला बुखार है, 10 दिन दवाई लो ठीक हो जाएगा. फिर से नई दवाइयां शुरू (वैसे आजकल दवाइयों की पैकिंग होती बढ़ी खूबसूरत हैं! यह भी है कि इतने तगड़े पैसे लेने के लिए कुछ तो दिखाना पड़ेगा).
नई दवाइयां लेते हुए एक हफ्ता हुआ, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. इतने में अचानक आठवे दिन ऑफिस वालों ने मुंबई भेज दिया. काम बहुत आवश्यक था इसलिए मना भी नहीं कर सका और तबियत खराब में ही मुंबई जाना पड़ा. जाते-जाते 4 दिन की दवाई और लेता गया. अब कुल मिलकर 14 दिन हो गए लेकिन तबियत में कोई इजाफा नहीं हुआ, इसलिए फिर से नया डॉक्टर ढूँढना शुरू किया. इस बार का डॉक्टर गोल्ड मेडेलिस्ट है, देखने का अंदाज़ भी ठीक-ठाक लग रहा है. पहली बार तो उसने पहली वाली रिपोर्ट्स देखते ही कहा कि यह टेस्ट क्यों करवाए? (अब डॉक्टर कहेगा तो करवाने तो पड़ेंगे ही ना? हमें क्या पता कि टेस्ट हमारी परेशानी के हैं या नहीं?) फिर जो दवाइयां अभी तक मैं ले रहा था, उन्हें देखकर उसने कहा कि यह दवाइयां तो बहुत तेज़ हैं और इनका तुम्हारी परेशानी से भी कोई लेना-देना भी नहीं है. इनसे तो तुम्हारे गुर्दे में परेशानी हो सकती है, क्यों ले रहे हो यह दवाइयां? (फिर से वही सवाल, भला जब हम डॉक्टर नहीं है, तो हमें कैसे पता चलेगा कि दवाई ठीक है अथवा नहीं?). इतने बड़े-बड़े और डिग्रीधारक डॉक्टर भी बीमारी का पता नहीं लगा पाए, बेकार की और महंगी-महंगी दवाइयां देते रहे. ऊपर से खाने में इतने परहेज़ बता दिए कि कई महीनों से ठीक से खाना भी नहीं खा पाया और हल भी कुछ नहीं निकला!
अब के टेस्ट में काफी सारे इन्फेक्शन आएं हैं, डॉक्टर कह रहा है कि शायद "हाइपरथायरॉइडिज्म" है. कुछ और टेस्ट करवाए हैं, दवाई चल रही है. पिछले महीने भर की बिमारी के कारण कमजोरी और चिडचिडापन का शिकार हो गया हूँ. हमेशा मुस्कराते रहने वाले की मुस्कराहट थोड़ी फीकी पड़ गई है, उम्मीद है दोबारा लौट आएगी.
छ: महीने तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन पिछले महीने फिर से वही परेशानी! पिछला अनुभव अच्छा नहीं रहा था, इसलिए इस बार फिर वही उलझन कि किस डॉक्टर को दिखाया जाए? कई लोगो से सलाह लेने के बाद हड्डियों के एक मशहूर डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने कुछ (बड़ी महंगी) दवाइयां लिखी और यूरिक एसिड का टेस्ट करवाने की सलाह दी. हमने फिर से टेस्ट करवाया, लेकिन नतीजा फिर से कुछ नहीं, रिजल्ट 4.1 आया था. हमने डॉक्टर को फोन लगाया तो डॉक्टर साहब ने कहा कि अभी तो दवाइयां लेते हुए 3-4 दिन ही हुए हैं, कम से कम 7-8 दिन दवाइयां लीजिये, उसके बाद मिलना. हम चुपचाप दवाइयां लेते रहे. 8 दिन बाद फिर से डॉक्टर को दिखाया तो रिपोर्ट देखकर बोले, "यूरिक एसिड की प्रोब्लम तो नहीं है" (अब जो रिपोर्ट में लिखा था, वही हमने फोन पर भी बताया था. फिर रिपोर्ट देखकर उन्हें क्या नया पता चला, यह हमारी समझ से बाहर था). खैर! उन्होंने बताया कि कोई अजीब से नाम वाला बुखार है, 10 दिन दवाई लो ठीक हो जाएगा. फिर से नई दवाइयां शुरू (वैसे आजकल दवाइयों की पैकिंग होती बढ़ी खूबसूरत हैं! यह भी है कि इतने तगड़े पैसे लेने के लिए कुछ तो दिखाना पड़ेगा).
नई दवाइयां लेते हुए एक हफ्ता हुआ, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. इतने में अचानक आठवे दिन ऑफिस वालों ने मुंबई भेज दिया. काम बहुत आवश्यक था इसलिए मना भी नहीं कर सका और तबियत खराब में ही मुंबई जाना पड़ा. जाते-जाते 4 दिन की दवाई और लेता गया. अब कुल मिलकर 14 दिन हो गए लेकिन तबियत में कोई इजाफा नहीं हुआ, इसलिए फिर से नया डॉक्टर ढूँढना शुरू किया. इस बार का डॉक्टर गोल्ड मेडेलिस्ट है, देखने का अंदाज़ भी ठीक-ठाक लग रहा है. पहली बार तो उसने पहली वाली रिपोर्ट्स देखते ही कहा कि यह टेस्ट क्यों करवाए? (अब डॉक्टर कहेगा तो करवाने तो पड़ेंगे ही ना? हमें क्या पता कि टेस्ट हमारी परेशानी के हैं या नहीं?) फिर जो दवाइयां अभी तक मैं ले रहा था, उन्हें देखकर उसने कहा कि यह दवाइयां तो बहुत तेज़ हैं और इनका तुम्हारी परेशानी से भी कोई लेना-देना भी नहीं है. इनसे तो तुम्हारे गुर्दे में परेशानी हो सकती है, क्यों ले रहे हो यह दवाइयां? (फिर से वही सवाल, भला जब हम डॉक्टर नहीं है, तो हमें कैसे पता चलेगा कि दवाई ठीक है अथवा नहीं?). इतने बड़े-बड़े और डिग्रीधारक डॉक्टर भी बीमारी का पता नहीं लगा पाए, बेकार की और महंगी-महंगी दवाइयां देते रहे. ऊपर से खाने में इतने परहेज़ बता दिए कि कई महीनों से ठीक से खाना भी नहीं खा पाया और हल भी कुछ नहीं निकला!
अब के टेस्ट में काफी सारे इन्फेक्शन आएं हैं, डॉक्टर कह रहा है कि शायद "हाइपरथायरॉइडिज्म" है. कुछ और टेस्ट करवाए हैं, दवाई चल रही है. पिछले महीने भर की बिमारी के कारण कमजोरी और चिडचिडापन का शिकार हो गया हूँ. हमेशा मुस्कराते रहने वाले की मुस्कराहट थोड़ी फीकी पड़ गई है, उम्मीद है दोबारा लौट आएगी.
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
Keywords: Doctor, Fraud, Nursing Home, Uric Acid
Dontk Take Tension and Leave Without Dr.
ReplyDeletePlease Enjoy with Fraind on evening party, All the bukhar is gon
शाहनवाज़ भाई हमारे हकीम सऊद अनवर खाँ साहब को दिखा ले
ReplyDeleteआज की मेरी पोस्ट देखें man's food
ReplyDeletedrayazahmad.blogspot.com
मशहूर डॉक्टर से दूर रहें जिस डॉक्टर में इंसानियत हो उससे इलाज कराएँ तो बेहतर रहेगा ,खुद बातचित से परखें अपने डॉक्टर को उसके बाद उसके कहे अनुसार टेस्ट कराएँ अन्यथा कोई टेस्ट न कराएँ आज कल के डॉक्टर से टेस्ट कराने से अच्छा है की भगवन भरोसे रहकर घरेलु इलाज के जरिये ही अपने आप को ठीक करने का प्रयास करें ...
ReplyDeleteDoctors bhi ajkal pesha ban gaya hai, apna dhyan rakhe aur janche parekhe Dr. se ilaj karwae.
ReplyDeleteशाह नवाज़ भाई,
ReplyDeleteयह तो हमारी कहानी है,
बिलकुल वैसा ही इन दिनों हमारे साथ बीत रहा है।
बेहतर होगा कि आप किसी देशी ईलाज करने वाले मेरा मतलब है कि किसी हकीम या वैद्य से मिलें।
ReplyDeleteज्यादातर डॉक्टर्स साल्ट बदल-बदल कर एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं।
शुभकामनायें
प्रणाम
ऐसे डोक्टरों से अल्लाह बचाए. बचपन में एक डॉक्टर साहब ने मुझे टी.बी. की दवा देनी शुरू कर दी थी. एक हफ्ते बाद मैंने खुद ही छोड़ दी. अब पच्चीस साल हो चुके हैं और सही सलामत हूँ, अगर वह दवा खा रहा होता तो...
ReplyDeleteथायरायड इन्फेक्शन ! बाप रे बाप ।
ReplyDeleteकहाँ जा फंसे भाई ?
दराल साहब आप तो डॉक्टर हैं, आपको तो पता होगा की यह थायरायड इन्फेक्शन क्या और कैसे होता है?
ReplyDeleteशाहनवाज जी नमस्कार ! क्या आपको भी Fever और Pain ने घेर लिया? और डाँक्टर आपसे टेस्ट के नाम पर कमाई करते रहे तथा लैब वालोँ को कमाई कराते रहेँ। आप उनका साथ निभाते रहे। इतने पर तो अब आपको जाग जाना चाहिए। बाकी अब मैँ आपसे आपके E-mail पर मिलता हूँ। -: VISIT MY BLOG :- तुम ऐसे मेँ क्यूँ रुठ जाती हो?........... कविता पढ़ने के लिए आप सादर आमंन्त्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते है।
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई! रमज़ान का महीना चला रहा है..बस रोज़े पर क़ायम रहिए..अऊर डॉक्टर को ज़कात देने से परहेज कीजिए... बस हमको त एही ईलाज सही लगता है.. हमरे दोस्त के माता जी का इलाज भी सब डॉक्टर ऐसहीं खींच रहा था.. एक दिन एगो डॉक्टर अड़ गया कि हमरा ईलाज सही है..हम बोले कि ई त पोस्टमॉर्टेम के बादे पता चलेगा... वईसे हमरे तरफ से चश्मेबद्दूर है... अल्लाह आपको सेहत बख्शे..आमीन!!
ReplyDelete@शाहनवाज़ भाई
ReplyDeleteझा जी की बात सहमत हूँ ,आजकल जैसी स्तिथि है उसमें तो घरेलु इलाज करना ही बेहतर है बजाये के हमारे डोक्टोर्स तिलनुमा रोग को ताड़नुमा रोग में बदल दें
मेरी आपको सलाह है की एक बार स्वामी रामदेव जी के जगह-२ उपलब्ध चिकित्सालय को भी दिखाएँ ,हो सकता है वहाँ पर आपको सही चिकित्सा उपलब्ध हो जाए
बाकी तो मेरी ईश्वर से यही दुआ है की आपकी सेहत और आपके स्वास्थय को सदा अच्छा रखे
महक
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDelete*** हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र की उन्नति।
क्या कहा जाये...
ReplyDeleteफीस से महंगी दवाई, दवाई से मंहगे टेस्ट
ReplyDeleteआज का इलाज इसी टेस्टकी वजह से मंहगाई(डायन) खाए जा रही है ... बिना टेस्ट के डाक्टर यह भी नहीं समझ पाते कि जुकाम है कि फ्लू... किसी लोकल फॅमिली डॉक्टर से संपर्क करिये .. इतने दिन तक बुखार का रहना बिलकुल अच्छा नहीं है ...
लोगों को डाक्टर से यह पूछने की आदत डालनी होगी कि जो दवाएं उन्होंने लिखी हैं,उनमें से किस-किस के बगैर भी काम चल सकता है?
ReplyDeleteकुछ प्रश्न जो मरीज़ करे तो बदतमीज़ी मानी जाती है।
ReplyDelete1-निदान अगर टेस्ट से होगा तो आपके अनुभव का क्या?
2-क्या ईलाज़ बराबर चल रहा है?
3-सूचि में कुछ दवाएं लिये बिना चलेगा?
4-कोई दूसरा अनुभवी डाक्टर सुझाईये ना?
शाह नवाज़ जी ,
ReplyDeleteजहां तक हो सके एलोपैथी दवाओं से बचें ...आयुर्वेदिक क्यों नहीं लेते ....
एलोपैथी दवाओं का side effect बहुत ज्यादा है .....!!
आप शीघ्र स्वस्थ हों।
ReplyDeleteवैसे आदरणीय बीमारियां जिन्दा लोगों की एक निशानी हैं, आपने सुना कि किसी मुर्दे को कोई बीमारी हुई हो....
ReplyDeleteAllah aap ko jald shifa ataa farmaye. Aameen!
ReplyDeleteमेरी कहानी आपकी जुबानी
ReplyDeleteHey Shahnawaz... beautifully written! Hope you are fine now. Hyperthyroidism just requires one small medicine a day.
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