मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी

मायूसियों से अकसर भर जाती है ज़िन्दगी कभी मौत का डर, कभी डराती है ज़िन्दगी मौत तो आती है एक बार सताने को पर रोज़ ही आकर यह सताती है ज़िन्दगी जो लोग अक्सर खेलते हैं दीन दुनिया से अंजाम उनका बदतर बनाती है ज़िन्दगी हर तरफ मायूसियाँ भर जाए ज़िन्दगी में उस वक़्त तो यह खूब रुलाती है ज़िन्दगी शिद्दत...
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यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला

यह दूरियों का सिलसिला कुछ इस तरह चला कभी वो खफा रहे, तो कभी हम खफा रहे रहते थे साथ-साथ मगर आज क्या हुआ कभी वो जुदा रहे, तो कभी हम जुदा रहे वादा जो कर लिया था हमने साथ देने का वो बेवफा रहे, तो हम भी बेवफा रहे लिखती गई जो नगमा-ओ-अश`आर ज़िन्दगी वहां वो कलम रहे और हम  फलसफा रहे हर...
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बाप रे बाप, डॉक्टर!

साल के शुरू में तबियत खराब हुई, पुरे शरीर में दर्द और हल्का बुखार था. पहले भी एक-दो-बार हुआ था, तब फैमिली डॉक्टर को दिखाया था, दवाई ली थी और ठीक हो गए थे. लेकिन इस बार दर्द जा ही नहीं रहा था, यूरिक एसिड का टेस्ट कराया तो वह भी नोर्मल था. एक-दो लोगो से सलाह लेकर एक मशहूर नर्सिंग होम...
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अभिभूत कर दिया प्यार और प्रोत्साहन ने

आप सभी लोगो का इतना प्यार और प्रोत्साहन देख कर अभिभूत हो गया हूँ, सोचा नहीं था मेरे अहसास में इतने लोग शरीक होंगे. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो कम्प्यूटर से दूर थे, लेकिन मेरी पोस्ट के बारे में सुनकर उन्होंने फ़ौरन फ़ोन किया. कल पुरे दिन मुझे फ़ोन आते रहे, यहाँ तक की रात को 1 बजे तक दोस्तों से फ़ोन...
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राखी तो बहन भाई के रिश्तो की निशानी है

राखी तो बहन-भाई के रिश्तो की निशानी है फूलों सी महकती हुई प्यारी सी कहानी है भाई-बहन का प्यार है, कुदरत की एक नज़्म धारा सी अविकल है, यह गीतों सी रवानी है ताउम्र यूँ चलता रहे यह प्यार जहाँ में इंसान की मुराद यह भगवान ने मानी है भाई-बहन के प्यार से बंध जाता है संसार रहमान की बख्शी हुई नेमत यह...
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उफ़ यह ब्लागिंग!

यूँ तो ब्लॉग जगत में 2007 में ही आ गया था, सबसे पहले मैंने अपना ब्लॉग 'All Delhi" बनाया था, जो कि अंग्रेजी भाषा में था. इसके द्वारा में दिल्ली के बारे में जानकारियाँ उपलब्ध कराता था, जिसे बाद में http://alldelhi.com/ में बदल दिया. लेकिन मेरे ब्लॉग लेखन में एक...
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ग़ज़ल: जब हम उनसे जुदा हो रहे थे

जब हम उनसे जुदा हो रहे थे सच पूछो तो फ़ना हो रहे थे खुशियों की बातें तो क्या कीजियेगा आंसू भी हमसे जुदा हो रहे थे लहू के जो क़तरे बचे थे बदन में वोह जोशे-जिगर से रवां हो रहे थे कहाँ मिल पाएं है आशिक़ जहाँ में यह जुमले ज़बानी बयां हो रहे थे नई वोह कहानी शुरू कर रहे थे हम गुज़रा हुआ फ़लसफ़ा हो रहे...
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विश्व में आतंकवाद का बढ़ता दायरा

(दैनिक हरिभूमि के आज [10 अगस्त] के संस्करण में प्रष्ट न. 4 पर मेरा लेख) आज सारे विश्व को आतंकवाद ने घेरा हुआ है। अलग-अलग देशों में हिंसक गतिविधियों के अनेकों कारण हो सकते हैं, परन्तु आमतौर पर यह प्रतिशोध की भावना से शुरू होती है। प्रतिशोध के मुख्यतः दो कारण होते है, पहला कारण किसी वर्ग विशेष अथवा सरकार...
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