हर किसी को मृत्यु के बाद स्वयं अपने प्रभु के सामने खड़े होना है और उत्तर देना है कि पृथ्वी लोक में ईश्र्वर के बताए हुए रास्ते पर चला अथवा नहीं? क्योंकि उत्तर स्वयं देना है इसलिए आस्था का मामला भी एकदम निजी है, इसमें किसी और का हस्तक्षेप तो हो ही नहीं सकता है, क्योंकि आस्था का संबंध हृदय से होता है इसलिए मनुष्य उसी राह पर चलता है जिस पर उसका दिल हां कहता है।
ईश्र्वर एक है और उसका सत्य मार्ग भी एक ही है। इसलिए मनुष्य के लिए यह कोई मायने रखता ही नहीं कि वह किसी मुसलमान के घर पैदा हुआ है या फिर हिंदू अथवा इसाई के घर। उसे तो बस अपने ईश्र्वर से सत्य के मार्ग को दिखाने की प्रार्थना एवं प्रयास भर करना है, क्योंकि अब यह ईश्र्वर का कार्य है कि अमुक व्यक्ति को अपने सत्य का मार्ग दिखलाए।
प्रभु के सत्य मार्ग को पहचानना धरती के हर मनुष्य के लिए एक समान है। प्रभु को पाने के लिए इच्छा करना और इसके लिए प्रयास करना ही सब कुछ है, आगे का काम तो स्वयं उस ईश्र्वर का है। ईश्र्वर ने हमें अवसर दिया है पृथ्वी पर धर्म अथवा अधर्म पर चलने का ताकि इसके अनुसार स्वर्ग अथवा नर्क का फैसला हो सके। इसलिए कोई भी व्यक्ति अपनी आस्था के अनुरूप जीवन व्यतीत कर सकता है। ईश्र्वर जिसे चाहता है, धर्म की सही समझ देता है, परंतु वह ना चाहने वालो को धर्म की सही समझ नहीं देता। अगर किसी ने ईश्र्वर को पाने की और उसके सत्य मार्ग को जानने की कोशिश ही नहीं की और अंधे-गूंगों की तरह वही करता रहा जो उसके मां-बाप, परिवार वाले करते आ रहे हैं तो वह अवश्य ही गुमराह है। चाहे उसका उद्देश्य अच्छा ही हो। ईश्र्वर को पाना है तो उसके पाने की इच्छा और प्रयास करना ही पड़ेगा।
अब प्रश्न उठता है कि क्या आस्था मजबूरी अथवा लालच में बदली जा सकती है? और क्या पूर्वजो ने मजूरी में इस्लाम धर्म स्वीकार किया? धर्म का संबंध आस्था से होता है और आस्था का संबंध हृदय से होता है। और कोई भी मनुष्य पूरी दुनिया से तो असत्य कह सकता है परंतु अपने हृदय से कभी भी असत्य नहीं कह सकता है। हृदय को तो पता होता है कि उस पर किस का राज है। इसलिए धर्मपरिवर्तन में मजबूरी की बात कहना ही गलत है। जहां तक मान्यता की बात है तो इससे किसी को फर्क नहीं पड़ना चाहिए। नाता तो ईश्र्वर से है और वह अरबी, भारतीय या किसी और देश के वासी की नजर से नहीं देखता है, बल्कि किसी के कर्मो और उसके प्रति प्रेम पर निगाह डालता है। सर पर तलवार लटकी हो तो भले ही एक क्षण के लिए कोई हां कह दे, लेकिन आस्था किसी भी मजबूरी में आखिरकार बदली नहीं जा सकती है।
अंजुमन ब्लॉग में शाहनवाज सिद्दीकी
"हमारी अंजुमन" के लिए लिखा मेरा लेख दैनिक जागरण ने दिनांक 10 जुलाई को अपने राष्ट्रिय संस्करण में "आस्था का सवाल और धर्म परिर्वतन" शीर्षक के साथ प्रष्ट नंबर 9 (विमर्श) के कॉलम "फिर से" पर प्रकाशित किया.
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Dainik Jagran, Hamari Anjuman, दैनिक जागरण, धर्म परिर्वतन, हमारी अंजुमन
mubarak ho!
ReplyDeleteएक बहुत ही अच्छे अंदाज़ से और मज़मून के साथ पूरी तरह इन्साफ करते हुआ लिखा है आपने. दिल से हजारों मुबारकबाद कुबूल फरमाइए.
ReplyDeleteक्या पूर्वजो ने मजूरी में इस्लाम धर्म स्वीकार किया? इतिहास पढ़ो.
ReplyDeleteवैसे कश्मीर में सेना व पुलिस पर आपकी ट्विट पढ़ी थी.
GOOD
ReplyDeleteaap ko mubarak
ReplyDeletegood
ReplyDeletesim786.blogspot.com
Part 1of 4
ReplyDeleteबहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .
दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे
आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
ReplyDeleteजो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए
1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी
( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )
मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें
mahakbhawani@gmail.com
हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से
ReplyDeleteआप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .
तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ
जय हिंद
महक
क्या बात है भी जान
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteएक अच्छे लेख क लिए धन्यवाद्, लेकिन मेरा खुद का मानना है और हमे देश मैं जो भी धर्मपरिवर्तन कि गतिविधियाँ चल रही हैं, उसे देख कर येही लगता है कि धर्म परिवर्तन आस्था के साथ - साथ लालच के लिए भी किया जा रहा है. गाज़ियाबाद के विजय नगर में इसाई मशीनरियां आज भी पैसे के बल पर धर्म परिवर्तन करवा रही हैं. और वो भी मात्र ३ लाख रुपये में. गरीब और पिछड़े हुए लोग इसमें बढ़ चढ़ करके भाग ले रहे हैं. पैसे के साथ - साथ उन्हें तुरंत चमत्कार का लालच भी दिया जा रहा है. आज भी अगर आप सुबह - सुबह टी वी खोल कर के देखे तो उसमे कैसे - कैसे चमत्कार दिखा कर के लालच दिया जाता है कि आप अपना धर्म परिवर्तन करले.
ReplyDeleteFor More please read my blog
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह शाहनवाज़ जी, कमाल की पकड़ है आपकी हिंदी पर, खुबसूरत तरीके से अच्छी बात लिखी है.
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