भय्या पत्नी की भी अजीब ही महिमा है। पता है कि आप कार्यालय में हैं, अब रोज़ ही जाते हैं तो वहीं होंगे। लेकिन श्रीमती जी का फोन पर एक ही सवाल होता है ‘कहां हो?’। अब बन्दा परेशान! हम भी चुटकी लेने के लिए बोल देते हैं कि ‘झुमरी तलैय्या में’! तो भड़क जाती हैं, ‘सीधे-सीधे नहीं कह सकते कि ऑफिस में हो’। अब श्रीमती जी जब पता ही था तो मालूम क्यों कर रही थी? लेकिन इतनी हिम्मत किसकी है कि यह मालूम कर ले?
श्रीमती जी की सबसे पंसदीदा चीज़ होती है शापिंग। अब शापिंग तो शापिंग है, ज़रूरत हो या ना हो लेकिन करनी है तो करनी है। उस पर तुर्रा यह कि इतनी महंगी वस्तु इतनी सस्ती ले आई। दुकानदार से दाम तय करने की भी अलग ही अदा होती है। पता नहीं श्रीमती जी दुकानदार को बेवकूफ बनाती हैं या दुकानदार श्रीमती जी को? लेकिन कटता तो बेचारा पति ही है।
थके हारे घर वापिस आए और आते ही आपके हाथ में चाय की प्याली आ गई तो समझो मामला गड़बड़ है। रोज़ तो चाय के लिए कहते-कहते थक जाते हैं, उस पर ज्यादा आवाज़ लगा ली तो सवाल ‘खुद क्यों नहीं बना लेते, देखते नहीं कितनी व्यस्त हूँ आपके बच्चों में’। ‘मेंरे बच्चे!’ मतलब अब यह बच्चे केवल मेरे हो गए। वैसे पत्नी के साथ छोटा तो कुछ होता ही नहीं है, चप्पल की ऐड़ी भी टूट गई तो समझो बड़ा नुकसान है। रास्ते में श्रीमती जी अपनी चप्पल तुड़वा बैठी, तो हमारे मूंह से निकल गया कि देख कर चल लेती। बस फिर क्या था ‘सस्ती चप्पलें दिलवाओगे तो यही होगा ना? इन्हे तो बस यही पसंद है कि रात-दिन घर में खपते रहो और कुछ मांगो मत। कहा था किसी अच्छे ब्राण्ड की दिलवा दो, लेकिन फर्क किसे पड़ता है? रास्ते में परेशान तो मैं हो रही हूँ ना।’ हम भी तपाक से बोले ‘लेकिन यह तुमने अपनी मर्ज़ी से ही तो खरीदी थी।’ जैसी दुकान पर ले जाओगे तो वैसी ही चप्पले खरीदूंगी ना।’ हमने मालूम किया ’लेकिन तुमने हमसे कब कहा था नई चप्पलों के लिए’? झट से बोली ‘तुम सुनते ही कब हो मेरी बात?
रास्ते में एक लड़की हमें देख रही थी, अब किसी की आंखे तो बंद कर नहीं सकते। परेशानी की बात यह हो गई कि श्रीमती जी ने उसे हमें देखते हुए देख लिया। वैसे अन्दर की बात तो यह है कि आप यमराज को तो मना सकते हैं लेकिन रूठी हुई पत्नी को मनाना नामुमकिन है! बात पत्नी की हो और सास का ज़िक्र ना आए? ‘सास’ नाम सुनते ही पत्नी एकदम से बहु बन जाती है। सास के सामने तो माँ जी, माँ जी, लेकिन पति के सामने बात ‘तुम्हारी माँ जी’ पर आ जाती है। अजीब रिश्ता है भय्या, एक-दूसरे को देखकर तेवर बदलना कोई समझ ही नहीं पाया है।
अंत में बस आपसे यही प्रार्थना है कि यह सब बाते मेंरी पत्नी को मत बताना, वर्ना!
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
श्रीमती जी की सबसे पंसदीदा चीज़ होती है शापिंग। अब शापिंग तो शापिंग है, ज़रूरत हो या ना हो लेकिन करनी है तो करनी है। उस पर तुर्रा यह कि इतनी महंगी वस्तु इतनी सस्ती ले आई। दुकानदार से दाम तय करने की भी अलग ही अदा होती है। पता नहीं श्रीमती जी दुकानदार को बेवकूफ बनाती हैं या दुकानदार श्रीमती जी को? लेकिन कटता तो बेचारा पति ही है।
थके हारे घर वापिस आए और आते ही आपके हाथ में चाय की प्याली आ गई तो समझो मामला गड़बड़ है। रोज़ तो चाय के लिए कहते-कहते थक जाते हैं, उस पर ज्यादा आवाज़ लगा ली तो सवाल ‘खुद क्यों नहीं बना लेते, देखते नहीं कितनी व्यस्त हूँ आपके बच्चों में’। ‘मेंरे बच्चे!’ मतलब अब यह बच्चे केवल मेरे हो गए। वैसे पत्नी के साथ छोटा तो कुछ होता ही नहीं है, चप्पल की ऐड़ी भी टूट गई तो समझो बड़ा नुकसान है। रास्ते में श्रीमती जी अपनी चप्पल तुड़वा बैठी, तो हमारे मूंह से निकल गया कि देख कर चल लेती। बस फिर क्या था ‘सस्ती चप्पलें दिलवाओगे तो यही होगा ना? इन्हे तो बस यही पसंद है कि रात-दिन घर में खपते रहो और कुछ मांगो मत। कहा था किसी अच्छे ब्राण्ड की दिलवा दो, लेकिन फर्क किसे पड़ता है? रास्ते में परेशान तो मैं हो रही हूँ ना।’ हम भी तपाक से बोले ‘लेकिन यह तुमने अपनी मर्ज़ी से ही तो खरीदी थी।’ जैसी दुकान पर ले जाओगे तो वैसी ही चप्पले खरीदूंगी ना।’ हमने मालूम किया ’लेकिन तुमने हमसे कब कहा था नई चप्पलों के लिए’? झट से बोली ‘तुम सुनते ही कब हो मेरी बात?
रास्ते में एक लड़की हमें देख रही थी, अब किसी की आंखे तो बंद कर नहीं सकते। परेशानी की बात यह हो गई कि श्रीमती जी ने उसे हमें देखते हुए देख लिया। वैसे अन्दर की बात तो यह है कि आप यमराज को तो मना सकते हैं लेकिन रूठी हुई पत्नी को मनाना नामुमकिन है! बात पत्नी की हो और सास का ज़िक्र ना आए? ‘सास’ नाम सुनते ही पत्नी एकदम से बहु बन जाती है। सास के सामने तो माँ जी, माँ जी, लेकिन पति के सामने बात ‘तुम्हारी माँ जी’ पर आ जाती है। अजीब रिश्ता है भय्या, एक-दूसरे को देखकर तेवर बदलना कोई समझ ही नहीं पाया है।
अंत में बस आपसे यही प्रार्थना है कि यह सब बाते मेंरी पत्नी को मत बताना, वर्ना!
- शाहनवाज़ सिद्दीकी
Keywords:
Critics, Vyang, Wife, धर्मपत्नी, पत्नी
nice व्यंग्य
ReplyDeleteअंत में बस आपसे यही प्रार्थना है कि यह सब बाते मेंरी पत्नी को मत बताना, वर्ना!
ReplyDeleteधमकी अगर आधी हो तो ज्यादा असर करती है !
Kamaal ka likha hai shahji. Maza aagaya.
ReplyDeletevery-2 nice post,पढ़कर मज़ा आ गया ,शाहनवाज़ भाई बहुत खूब
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य और बेहतरीन पत्नी पुराण
ReplyDeleteमजा आ गया
प्रणाम स्वीकार करें
अच्छा व्यंग्य
ReplyDeleteशाहनवाज जी बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ,आज समाज में पति पत्नी की मानसिकता को उजागर करती विषय पर सार्थक व्यंग के लिए आपका धन्यवाद |
ReplyDeleteकोई पत्नि से भी पूछे..... :):)
ReplyDeleteअच्छा व्यंग
मज़ा आ गया
ReplyDeletewaah !
ReplyDeleteअब एक हक़ीकत शौहरों की भी सुन लो...पत्नी का फोन आता है तो जवाब होता है...क्या बात है...पता नहीं है बिज़ी हूं...जल्दी बोलो क्या लाना है...अच्छा ले आऊंगा...अब फोन रखो...
ReplyDeleteअब खुदा न खास्ता किन्ही वो का फोन आ जाता है तो पहले तो मधुर आवाज़ में हैलो जी ही इतनी लंबी और दुनिया की मिठास लिए होती है कि सुनने वाली के कानों में मिश्री घुल जाए...बोलिए जी बोलिए...आज इस नाचीज़ की याद कैसे आ गई...अज़ी बंदा फुर्सत ही फुर्सत में है...कहिए क्या हुक्म है हुज़ूर का....
जय हिंद...
:-)
ReplyDeleteखुशदीप जी, आपने बिलकुल सही कहा. ;-)
गज़ब की हिम्मत दिखाई भाई ये सब लिखकर!
ReplyDeleteपर बच के रहना आने वाली मुसीबत से।
शाहनवाज़ भाई क्या ब्लोग्वानी बंद हो गई है?
ReplyDeleteकाफी दिनों से केवल बिजी था इसलिए आप दोस्तों के ब्लोग्स ही खोल पाया था, आज ब्लोग्वानी पर गया तो देखा एक भी नै पोस्ट नहीं है. हॉट लिस्ट भी नहीं है. आपके ब्लॉग से वोट भी नहीं हो रहा है?
इस महत्व को समझना जरूरी है। आपको बधाई।
ReplyDeleteशाहनवाज़ भाई पत्नी पुराण, मर्दों का सबसे पसंदीदा विषय. ख़ूबसूरती से सुनाया. पत्नी कहीं देख लिया तो गयी भैंस पानी मैं...
ReplyDeleteशादी के दो दिन बाद लड़की अपनी मां से: मां मेरी उनसे लड़ाई हो गई है।
ReplyDeleteमां : बेटा शादी के बाद झगड़े तो होते ही रहते हैं।
लड़की: वो तो ठीक है पर अब लाश का क्या करूं?
नये चुटकुले पढ़ते रहें :
http://hansna.blogspot.com/
Reply | Edit
Bilkul sahi kah rahe hain aap. Lekin jab bhi Bhabhi ji ke sath hon to jara IDHAR-UDHAR dyan se dekha kare.
ReplyDeleteबहुत ही मस्त है
ReplyDeleteare ye kuch likkha hai tume mere blog par aakar dekho zara isse kehte hai likhna
ReplyDeleteहम तो यह मानते हैं कि जैसा पति वैसी पत्नी। व्यंग्य अच्छा तो लगा लेकिन छोटा लगा।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट
ReplyDeleteआपके ब्लाग की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर
हा हा हा हा हा हा मस्त पत्नी पुराणम!
ReplyDeleteखूब कही। सब खुश ही होंगे। धर्मपत्नी के सिवाय, जिनकी पोल खोली है और बंधु आपकी तो खैर नहीं ...
ReplyDeleteघर में पंगे ले रहे हो मियाँ ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
आप हवा में उड़ न जायें इसलिये शादी कर दी जाती है । अब रहिये जमीन पर ।
ReplyDeleteआपकी ये घर-घर की कहानी मन में घर कर गयी ...बहुत ही बढ़िया...धाराप्रवाह शैली में लिखा गया आपका ये व्यंग्य बहुत पसंद आया
ReplyDeleteलो कर लो बात..
ReplyDeleteहम तो अपने आपको ही खतावार समझते थे. बीवी से तो हम भी परेशन रहते हैं, चलो आप भी हो गये हमारे शरीके ग़म...मज़ाक कर रहा हूँ.
अरे भाई घर भी तो जाना है.
बहुत अच्छा लिखा KEEP IT UP
behtar !
ReplyDelete:) बेचारे पति..च च च
ReplyDeleteहा हा हा………………बढिया व्यंग्य।
ReplyDeleteवाह! आनंद से भर दिया ..अच्छा लिखते हैं आप...
ReplyDeleteजो करतूत्ं नहीं कि हैं वो भाभी को बताऊं या सारी मंडली को पार्टी दे रहे हो
ReplyDeleteसही है रोहित भाई, भाई को पिटवा के दम लोगे मतलब....
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