मौसमी इश्क़ है, मौसम के बाद क्या होगा,
हर चेहरे पर नया चेहरा चढ़ा होगा।
मौज साहिल से आकर मिलती है,
इसके बाद उसको बिछुड़ना होगा।
हर कहानी कहीं ख़तम होगी,
फिर नया एक फलसफ़ा होगा।
मेरा सातो जनम का साथी वोह,
ग़ैर की बाहों में खड़ा होगा।
हमको कहता है हमसफर जो अभी,
रहज़नी में वही लगा होगा।
जिससे उम्मीद-ए-हिफाज़त की है,
वहीं ताने हुए कमां होगा।
बड़ा माक़ूल समां है सनम के मिलने तक,
बदला-बदला यह फिर जहां होगा।
- शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
Keywords:
Ghazal, Urdu, Gazal, hindi, poem
मौसमी इश्क़ है, मौसम के बाद क्या होगा
ReplyDeleteहर चेहरे पर नया चेहरा चढ़ा होगा।
गजब
हर कहानी कहीं ख़तम होगी,
ReplyDeleteफिर नया एक फलसफ़ा होगा
वाह सलिल साहब वाह...बेहतरीन....बहुत खूब कहा है आपने...ग़ज़ल में शेर दोहराए नहीं जाते...
नीरज
नीरज गोस्वामी जी, मेरी हौसला अफजाई और जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. आशा है भविष्य में भी इसी तरह मार्ग-दर्शन करते रहेंगे.
ReplyDeleteबहुत खूब,,आनन्द आ गया.
ReplyDeleteबहुत बढिया !!
ReplyDeleteवाह क्या ग़ज़ल है
ReplyDeleteउम्दा है ,मजा आया
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeletebahut hi acchi gazal shahnawaj ji.
ReplyDeleteOrkut par aapki Hindi-Community me kuchh galat thread chal rahi hai, please dhyan dijiye.
ReplyDeleteइसे इंटरनेट युग का इश्क भी कह सकते हैं.
ReplyDeletegazal mubaaraq
ReplyDeletebahut hii khoobsoorat gazal.
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